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________________ ७२ साध्वाचार के सूत्र प्रश्न ७. प्रतिक्रमण किसका किया जाता है ? उत्तर- १. अतीत का प्रतिक्रमण-निन्दा द्वारा अशुभ योग से निवृत्त होना। २. वर्तमान का प्रतिक्रमण-संवर द्वारा अशुभ योग से निवृत्त होना। ३. अनागत का प्रतिक्रमण–प्रत्याख्यान द्वारा अशुभ योग से निवृत्त होना। प्रश्न ८. मुनि को प्रतिक्रमण कब-कब करना चाहिए? उत्तर- १. प्रतिलेखन और प्रमार्जन कर। २. भक्तपान का परिष्ठापन कर। ३. उपाश्रय के कूड़े-कर्कट का परिष्ठापन कर। ४. सौ हाथ की दूरी तयकर मुहूर्त भर उस स्थान में ठहरने पर। ५. यात्रा पथ से निवृत्त होने पर। ६. नदी संतरण करने पर। ७. प्रतिषिद्ध का आचरण करने पर। ८. करणीय (स्वाध्याय आदि) नहीं करने पर। ६. अर्हत् द्वारा प्रतिपादित तत्त्वों पर अश्रद्धा होने पर। १०. विपरीत प्ररूपणा करने पर। प्रश्न ६. प्रतिक्रमण के स्थान कौन-कौन से हैं? उत्तर-मिथ्यात्व, असंयम, कषाय, अप्रशस्त योग और संसार-ये पांच स्थान प्रश्न १०. क्या प्रतिक्रमण करने का भी कोई निश्चित समय है? उत्तर-प्रतिक्रमण का कालमान है ४८ मिनट। यह दो समय विधिवत् किया जाता है। १. सूर्योदय से ४८ मिनिट पहले प्रारंभ कर सूर्योदय तक। २. सूर्यास्त से ४८ मिनट तक। प्रश्न ११. प्रतिक्रमण की उपसम्पदा क्या है?' उत्तर-मैं केवली प्रज्ञप्त धर्म की आराधना में उपस्थित होता हं, विराधना से १. (क) आवश्यक नियुक्ति १२३१ (ख) भिक्षु आगम विषय कोश (ख) भिक्षु आगम विषय कोश ३. आवश्यक नियुक्ति १२५०,१२५१ २. (क) आवश्यक नियुक्ति १२७१ ४. अमृत कलश आवहावृ २ पृ. ५० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003051
Book TitleSadhwachar ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajnishkumarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size6 MB
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