SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 88
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रश्न १. प्रतिक्रमण किस सूत्र का अंग है ? " ૧ ६. प्रतिक्रमण प्रकरण उत्तर- आवश्यक सूत्र का । प्रश्न २. आवश्यक सूत्र कितने अंग वाला है ? उत्तर - आवश्यक सूत्र के छह अंग हैं- सामायिक, चडवीसत्थव, वंदना, प्रतिक्रमण, कायोत्सर्ग, प्रत्याख्यान । प्रश्न ३. व्यक्ति सापेक्ष प्रतिक्रमण के कितने प्रकार हैं ? ३ उत्तर- दो । साधु प्रतिक्रमण व श्रावक प्रतिक्रमण । प्रश्न ४. साधु और श्रावक के प्रतिक्रमण में क्या अंतर है ? ४ उत्तर - साधु प्रतिक्रमण महाव्रतों व समिति गुप्ति की आलोचना पर आधारित है । श्रावक प्रतिक्रमण बारह व्रतों की आलोचना पर आधारित है । प्रश्न ५. प्रतिक्रमण का क्या अर्थ है ? उत्तर - प्रतिक्रमण शब्द का अर्थ है-अपने स्थान पर लौटना । प्रमादवश मन संयम से बाहर चला गया हो उसे वापस संयम में स्थित करना प्रतिक्रमण कहलाता है । प्रतिक्रमण का अर्थ - अपनी भूलों को देखना और उनका प्रायश्चित्त करना । प्रतिक्रमण का अर्थ - औदयिक भाव से क्षयोपशम भाव में लौटना । प्रश्न ६. प्रतिक्रमण के कितने पर्याय हैं ? उत्तर - आठ पर्याय है - प्रतिक्रमण, प्रतिचरण, परिहरण, वारणा, निवृत्ति, निन्दा, ग और शोधि । १. अमृत कलश २. अमृत कलश ३. अमृत कलश Jain Education International ४. अमृत कलश ५. अमृत कलश ६. आवश्यक निर्युक्ति १२३३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003051
Book TitleSadhwachar ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajnishkumarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy