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________________ प्रतिक्रमण प्रकरण विरत होता हूं। मैं असंयम से निवृत्त होता हूं, संयम में प्रवृत्त होता हूं। मैं अब्रह्मचर्य से निवृत्त होता हूं, ब्रह्मचर्य में प्रवृत्त होता हूं। मैं अकल्प्य (अनाचरणीय) से निवृत्त होता हूं, कल्प्य (आचरणीय) में प्रवृत्त होता हूं। मैं अज्ञान से निवृत्त होता हूं-ज्ञान में प्रवृत्त होता हूं, मैं अक्रिया (नास्तित्ववाद) से निवृत्त होता हूं, किया (अस्तित्ववाद) में प्रवृत्त होता हूं। मैं मिथ्यात्व से निवृत्त होता हं, सम्यक्त्व में प्रवृत्त होता हूं। मैं अबोधि से निवृत्त होता हूं, बोधि में प्रवृत्त होता हूं, मैं अमार्ग से निवृत्त होता हूं, मार्ग में प्रवृत्त होता हूं।' प्रश्न १२. प्रतिक्रमण का समय एक मुहूर्त ही क्यों? उत्तर-आगम साहित्य में प्रतिक्रमण का कालमान कहीं भी निर्दिष्ट नहीं है। उत्तरवर्ती ग्रंथों में उसका कालमान एक मुहूर्त बताया गया है। इसके पीछे मुख्य रूप से दो हेतु दिये गए हैं १. छद्मस्थ व्यक्ति की मानसिक एकाग्रता की स्थिति अंतर्मुहूर्त से अधिक नहीं रह सकती। प्रतिक्रमण करने वाला एकाग्रता की स्थिति में अपने दोषों की आलोचना कर सके इस दृष्टि से प्रतिक्रमण का कालमान एक मुहूर्त २. जिस प्रवृत्ति के लिए आगम में कालमान का निर्देश नहीं है उसका कालमान एक मुहूर्त का समझना चाहिए। जैसे नवकारसी और सामायिक का समझा जाता है। इनका काल भी आगम में निर्दिष्ट नहीं है। प्रश्न १३. काल सापेक्ष प्रतिक्रमण के कितने प्रकार है ? उत्तर-पांच प्रकार-(१) दैवसिक प्रतिक्रमण (२) रात्रिक प्रतिक्रमण (३) पाक्षिक प्रतिक्रमण (४) चातुर्मासिक प्रतिक्रमण (५) सांवत्सरिक प्रतिक्रमण। (६) इत्वरिक प्रतिक्रमण (७) यावत्कथित प्रतिक्रमण (८) उत्तमार्थ प्रतिक्रमण अनशन के समय किया जाने वाला। प्रयन १४. प्रतिक्रमण के छह प्रकार कौन से है ? उत्तर-१. उच्चार प्रतिक्रमण-मल त्याग करने के बाद वापस आकर ईर्यापथिकी सूत्र के द्वारा प्रतिक्रमण करना। २. प्रसवण प्रतिक्रमण-मूत्र त्याग करने के वाद वापस आकर ईर्यापथिकी १. (क) आवश्यक २/8 २. अमृत कलश (ख) भिक्षु आगम शब्द कोश ३. आवश्यक नियुक्ति १२४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003051
Book TitleSadhwachar ke Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajnishkumarmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size6 MB
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