SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५१८ [२२७४ नेमिनाहचरिउ [२२७४] पवण-चंचल-कमल-दल-नयण परिकंपिर-अहरदल- पाणि-पाय पीवर-पओहर । पिहु-जहण-नियंव-थल परिल्हसंत-उत्तरिय-अंवर ॥ कंठि विलग्गिवि जीवजस अइमुत्तयह रिसिस्सु । पभणइ - अवसरि आगयह मरहुं मरहुं दियरस्सु ॥ [२२७५] गीय-वाइय कुणसु तुहुं अज्जु हउँ नच्चिसु तुह पुरउ इय भणंत कहमवि न विरमइ । न य कंठ-नालु विमुयइ जाव ताव महरिसि पयंपइ ॥ धिसि घिसि पाविणि जीवजसि जीए महि नच्चेसि । सत्तम-गम्भिण तीए तुहुं हय-जणय-प्पिय होसि ॥ [२२७६] इय सुणंति विगलिय-मय-वेग भय-कंपिर-पीण-थणवह मुइवि जीवजस महरिसि । परिसाहइ एहु सिरि- कंस-निवह अह सो वि अ-सरिसि ॥ भय-जलहिम्मि निवुड्ड-तणु सिरि-वसुदेवह पासि । जाइ तयणु सउरिण भणिउ कज्ज-विसेसु पयासि ॥ [२२७७] ____ता पयंपिउ कंस नरवरिण वसुदेवह सविहि जह सत्त गब्भ देवइहि वियरह । अह अ-कहिवि देवइहि पत्थणत्थु अ-मुणेवि कंसह ॥ पडिवन्नउं कंसह वयणु वसुदेविण नीसेसु । एत्तो उण चिट्ठइ मलय- नामगु देस-विसेसु ॥ २२७७. ४. क. देवइवि. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy