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________________ २२७३ ] नवमभवि वसुदेववुत्तंतु [२२६५] वणि-दुहिय-मित्तसेणं अयलग्गामम्मि गिण्हए तत्तो । तिलसोस-संनिवेसे गिण्हइ कन्नाणं पंच-सए ।। [२२६६] गिरितड-गामे गिण्हइ सोमसिरिं वच्चए तओ चंपं । गंधव्वसेण-भज्जं अमच्च-धृयं च गिण्हेइ ॥ [२२६७] सुग्गीव-जसोग्गीवाण पुव्व-परिणीय दोन्नि धृयाओ । तत्थेव गिहिऊणं गओ पुरे विजयखेडम्मि ॥ [२२६८] सामं च विजयसेणं गिहिउं गिण्हए य केउमई । पउमसिरि कोल्लउरे तओ जरं पल्लि-नाहस्स ॥ [२२६९] तत्तो अवंतिसुंदरि-जीवजसा-सूरसेण-पमुहाओ । घेत्तूणं भज्जाओ रयण-सुवन्नय-समिद्धाओ ॥ २२७०] उज्जोयंतो गयणं विज्जाहर-सेण्ण-परिगओ सउरी । सोरियपुरम्मि पत्तो परमाणंदेण वंधणं ॥ [२२७१] वद्धावणयं विहियं गरुय-पमोएण जायवेहिं तओ । भज्जाहिं समं कीलइ सउरी कंसेण य पहिट्ठो ॥ [२२७२] तयणु कंसिण महुर-नयरीए वसुदेवु नेहिण नियउ तत्थ निच्चु कीलंति ते दु-वि । अवरम्मि उ दिणि सउरि कंस-निविण साणंदु पभणिवि ॥ परिणाविउ देवय-निवह कन्नय देवइ नाम । तसु बद्धावण-महि हुयइ परितोसिय-पुर-गाम ॥ [२२७३] तहिं य अवसरि कंस-लहु-बंधु अइमुत्तय-नामि रिसि पत्तु भमिरु गोयरिय-चरियहं । धवलहर-दुवारि अह समुहिहूँय-भव-भावि-दुरियहं ॥ मइरा-मय-भर-पाडलिय- नयण सिढिल-धम्मिल्ल । ल्हसिर-नियंसण रणरणिरि- रसणावलि-सोहिल्ल ॥ २२६५. २. क. तिलसोस corrected as तिलसेस; ख. तिलसोस. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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