SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 138
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २५१७ ] तइयभवि नवमभवि कंसवहु तहा हि [२५१४] हुयइ कंसह कित्ति-सेसत्ति अंतेउरु पुर-जणु वि निहय-नाहु रुणुझुणइ निहुयउं । हा सामिय भड-तिलय सुहय-रयण किं एहु हृयउं ॥ कहिं गउ तुहुँ कहिं पेक्खिसहुँ आवि-न करि संभासु । जोइ-न तुज्झ विओई जह जणु चिढेइ निरासु ॥ [२५१५] इय निरंतर-गलिय-नयणंसुजल-धोइय-मुह-कमलु मुक्क-दीह-नीसास-मंसल । अंतेउरु स-पुरु तसु कंस-निवह पेक्खिवि अ-मंगलु ॥ सुमरेविणु अइमुत्तयह रिसिहि ताई वयणाई । अवलोएविणु कंसह वि विसमई मरण-दुहाई ॥ [२५१६] नियय-परियण-पुरउ साडोवु इहु पभणइ जीवजस मज्झ दइउ सिरि-कंसु निहणिवि । ते गोव-नंदह तणय वच्चिहिंति कहिं वसुह मिल्लिवि ॥ अह व किमन्निण पभणिइण हउँ निय-जणय-करेण । निहणाविवि जायव मुसलि कण्ह-नंद अइरेण ॥ [२५१७] समगामवय-सयल सत्तूहि निय-दइयह देसु हउं नूण सलिल-अंजलि पयत्तिण । इयरह उण हुणहुं धुवु जलिर-जलणु नियएण गत्तिण ॥ इय काऊण पइन्न गिरि- गरुय विमुक्कल-केस । सा जीवजस हयास गय जणयह पुरउ स-रोस । ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy