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________________ [२५१८ ५६८ नेमिनाहचरिउ [२५१८] ता कहं चि वि संठवेऊण सा पुच्छिय नरवरिण वच्छि कहसु को एहु वइयरु । अह तीए निवेइयइ पत्थुयत्थि साडोवु नरवरु ॥ जंपइ - वच्छि न सुट्ठ किउ ज न कहियउं तइयावि । न सहिज्जइ एगु वि दियहु एरिसु खलु कइयावि ॥ जओ - [२५१९] दुट्ठ महिलिय वाहि वइढंत आरंभिय-पसरु सिहि समुवलद्ध-अवयासु दुज्जणु । उग्गंतु अ-छिन्नु विस- तरु वि कुणइ भुवणह वि गंजणु ॥ इय न सुहावह हवहिं धुवु एहि उवेहिज्जत । तीसेसावि(?) हु भुवणह वि वत्थु-सत्थ पुव्वुत्त ॥ _[२५२०] तह-वि दृरिण चयसु तुहुं खेउ मह पासह वच्चिहइ कत्थ कसु वि दरिसिहइ स-वयणु । ते जायव गोव ति वि नंदु सो वि सु वि तेसि परियणु ॥ मई रुट्टइ तहं तारिसहं देइ कु संभासो वि । नहि मयरम्मि विरुद्धि जलि मच्छलियहं वासो वि ॥ [२५२१] इय कह-चि वि धूय संठविवि जरसंध-नराहिविण समुदविजय-पमुहाण निवइहिं । सिरि-सोमग-दृउ निउ सिक्खिवेउ बहु-विहिहिं वयणिहिं । पेसिउ सो-वि हु अइरिण वि जायव-सविहिहिं गंतु । जह जह जंपइ तह तह जि निसुणह साहिज्जंतु ॥ २५१७. १. क. सत्तहि, ख. सत्तुहि; ५. क. रयणु, ख. जलुणु. २५१९. ८. नीसेसावि. २५२०. ३. क. कत्थ सु व. ९. क. यह मच्छलियहं. २५२१. ६. क. पसिओ. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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