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________________ २४८३ ] नवमभवि मुट्ठिगचाणूरवहु [२४८०] सि निठुर-मुट्ठि धाएहिं परिजज्जर कुंभयड अणवरय-गलंत-तणुहरि-वल- उप्पाडिय - दसण गुरु-विमुक्क- चिक्कार | हूय कर्यताजिर- अतिहि कुंजर तयणु कुमार ॥ [२४८१] गोव-वग्गण विहि-सक्कार उत्ताविय - पिसुण-मण महरा -नयरिहिं मागहिहिं अणुमग्गागच्छन्त - वहु - गोव- जणिय-संमद ॥ थुवंत मुहि-सज्जणिहिं कय- चमक्क आरोह- हिययहं । मणि वसंत कामिणि-समूहहं ॥ पयडिय - जय जय - सद्द | दलिय दप्प तह सीह-नाइहिं । रुहिर-पूर असिवेणु घाइहिं ॥ मुताहल-मालियहिं गंधोदय-से-चरउत्तम वत्थ- पहाण - मणिसच्चहाम उक्कंठ-मण [२४८२] चारु- चंपय- जाइ - वियइल्ल Jain Education International 2010_05 निय - सोहा - अवगणियसंपत्त ति दो-वि अह तहिं अ-लहंत तहा - विहउं as afaण माणुस वियि - विविह-अवऊल-मणहरि कुसुम - पयर - सव्वंग-सुंदरि ॥ कणय-सिला-कय-सोहि । आगय विवि- निवोहि ॥ [२४८३] मल्ल- खलयह नाइदूरम्मि सुर -विमाणि मंचम्मि एगहं । मंचि निचिइ माणुसहं चंगहं ठाणु स भुय दंडेहिं । कइ-वि ति ठंति सुहेहिं ॥ २४८०. ३. क. नाइहि. ८. क. अतिहिं. ९. क. कुमारू. For Private & Personal Use Only ५५९ www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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