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________________ ५६० नेमिनाहचरिउ २४८४] [२४८४] तयणु अहरिय-इयर-तेयस्सु पसरंत-देह-प्पहह वाहु-दंड-विलसंत-लच्छिहि । गंभीरिम-सायरह हरिहि पुरउ वियसिरिहि अच्छिहि ॥ जंपिउ वलभदेण जह इहु सु कंसु तुह सत्तु । एहि ति समुदविजय-पमुह एहु सु जणउ पवित्तु ॥ [२४८५] ___इय असेसि वि राय पत्तेउ उवदंसइ वलु हरिहि जाव ताव कंसस्स वयणिण । नाणाविह मल्ल तहिं जुडहिं अन्नमन्नेण दप्पिण ॥ धावहिं वग्गहिं अभिडहिं पहरहिं मोडहिं अंग। टालहिं संधिअ संधिहिं वि भंजहिं अंगोवंग ॥ [२४८६] एत्थ-अंतरि तिवइ फोडेवि सीहारवु मेल्लिउण हणिवि सुहड खर वयण-सिल्लिण । अप्फालिवि वक्करिय गुरु-मरट्ट-चाणूर-मल्लिण ॥ आकंपाविवि धरणियलु निय-पय-ददरएण । भणिउ - अरिरि इह अस्थि कु-वि जायउ निय-जणएण ॥ [२५८७] जो विहूसिउ गरुय-परकमिण भुय-दंड-चंडिम-बहिरु . मल्ल-जुज्झ-उच्छाह-सोहिरु । आगच्छिवि मह समुहु जुडइ समर-धरणिहिं अ-कायरु ॥ ता सूरउ ता चारहडु जा घरि सविहि पियाए । मई दिट्टउ पुणु सयलु भडु पविसइ तलि वसुहाए । ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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