SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 120
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४४३ ] नवमभवि कण्हवालत्तणु [२४४०] अह कुऊहल-वसिण सह तेण जुज्झविणु कं-चि खणु तयणु वसहु सो पुच्छि घेप्पिणु । भामेवि चक्क-ब्भमिण कुच्छि-देसि मुट्ठिण हणिप्पिणु ॥ तह कहमवि खिवियउ महिहिं जह निल्लालिय-जीहु । वसह-हयासु सु निस्सरणु पडिवज्जइ पहु दीहु ॥ [२४४१] वीय-वासरि तहिं जि विहि-वसिण लंबोयरु तुंग-तणु विसम-उठु दप्पिडु दुट्ठउ । गुरु-दाढ-कराल मुह- *कुहरु केसि-हउ हरिण दिद्वउ ॥ तुंडग्गिण पय-पट्टयहिं भुवणु वि विदावतु । हेसारव-वहिरिय-गयणु तुरिउ समुहु आवंतु ॥ [२४४२] नियय-कुप्पर+ खिविवि वयणम्मि तसु दुह-तुरंगमह फुरिय-दप्प-दछुट्ट-पल्लवु । दामोयरु लीलई जि कुणइ करिहिं दो-खंड हय-सवु ॥ तयणु सु पीण[-प]ओहरिहिं+ तसिय-हरिण-नयणीहिं । आलिंगिज्जइ पुणु पुणु वि हसिवि गोव-तरुणीहिं ॥ [२४४३] गोव-गोवी-जणिण साणंदु थुव्वंतय बहु-विहिहिं अवर-दियहि ते दो-वि वंधव । विंदारय-वणि जि गय कीलणत्थु वलएव-केसव ॥ अह कहिण(?) निसुणियउं इह चिट्ठइ दुह-विवागु । जउण-नईए दिहि-विसु दुसहउ कालिय-नागु ॥ * The portion from कुहरु (2441. 4.) to आइ8 (2446. 4.) is based on ms, a only. २४४२. १. तुप्पर; ३. फरिय. ६. पीण उहरिहिं. ९. तरुणेहिं.. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy