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________________ ५४८ नेमिनाहचरिउ [२४३६ [२४३६] न-उण पावइ निद्द न य भुक्ख निक्कारणु परिकुवइ हणइ लोउ अ-कयावराहु वि । अवमाणइ मंति-यणु पगइ-वग्गु दंडइ अ-दोसु वि ॥ गह-गहियम्मि व कंसि इय अंतेउर-पुर-लोउ । सयल्लु विरत्तउ भणइ - तसु जं भावइ तं होउ ॥ [२४३७] कण्हु पुणु वलभद्द-परिकलिउ तहिं गोउलि गोवि-यण- जणिय-हरिसु वहु-विहिहि विलसइ । अह सरय-समागमणि स-हल महिहिं परितुट्ठि कासइ ॥ भमिरु अरिह-सरिच्छ-पहु पीवरु वसहु अरिछ । जियहं खयंकरु आगयउ गोउलि कण्हिण दिछ । [२४३८] तयणु - अरि अरि हणसि गो-वग्गु गोवि-यणु वित्तासिहसि विद्दवेसि घर-हट्ट-छेत्तई । मारेहिसि विविह जिय निदलेसि पसुयाहं गत्तई ॥ ता किह छुट्टसि मह पुरउ रिह-वसह जीवंतु । इय जंपिरु हरि तसु पुरउ परिकीलिरु आगंतु ॥ [२४३९] कण्ह म-न करि कोवु एयम्मि . मा गच्छ सविहिहिं इमह किं न नियसि एएण भुवणु वि । विद्दवियर्ड इय भणिरि गोवि-वग्गि पभणइ कण्हु वि ॥ जो लीलाइ वि उक्खिवइ कोडि-सिला सु-महल्ल । तसु मह कित्तिय-मेत्त इहु इय कि न मुणह गहिल्ल ।। २४३८. ८. क. पुरओ. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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