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________________ ५५० [२४४४ नेमिनाहचरिउ [२४४४] तयणु पविसिवि सलिल-मज्झम्मि उववेत्तु निय-करयलिण जिन्न-रज्जु-खंड व विहंडिवि । कड्ढेवि सरियह वहिहिं महिहि एग-देसम्मि छड्डिवि ॥ गोव-डिंभ-सहसिण सहिउ जल-कीलहं कीलेवि । गोउलि पत्तउ हरि जणह पहु निविग्घु करेवि ॥ [२४४५] ते-वि रासह-मेस दुद्धरिस जे आसि इयरहं जण दिट्ठ-मेत्त-गुरु-खेय-कारण । विदारय-वण-गहणि पत्त संत पेक्खिय-जणद्दण ॥ गलिय-मडप्फर हरि-करिण पावहिं जीविय-अंतु । कण्हु वि तहिं मुसलिण कलिउ खणु चिट्ठइ कीलंतु ॥ इओ य - [२४४६] एहु वइयरु मुणिवि' कंसेण पसरंत-भयाउरिण जीय-रक्ख-अक्खणिय-चित्तिण । आइट्ट निय-धणु-रयण- पूयणत्थु अंगिण पवित्तिण ॥ वत्थाहरण-विलेवणिहि कय-निरुवम-सम्माण । नियय-भइणि वर-देह-पह सच्चहाम-अभिहाण ॥ [२४४७] पुरि कराविय पुणु निउत्तेहिं उग्घोसण जह - जु कु-वि सुहड-वंस-जस-कलस-सरिसउ । आरोवइ धणु-रयणु मज्झ भइणि परिणिवि सु अइसउ ॥ पावइ मज्झि नरामरहं पयडिय-कित्ति-कलावु । लहइ य रज्जह अधु अह इहु निमुणिवि आलावु ॥ २४४६. १. मुणवि. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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