SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उपदेश पुष्पमाला/ 19 में ही मूल ग्रंथकार मलधारी हेमचन्द्र सूरि और लघुकृति के कर्ता साधु सोममणि का परिचय आगे दे रहे हैं। रचनाकार मल्लधारी हेमचन्द्रसूरि का परिचय राजशेखर ने प्राकृत द्वादश वृत्ति में (वि.स. 1387 में) लिखा है कि मलधारी हेमचन्द्र का गृहस्थाश्रम का नाम प्रद्युम्न था और वे राजमंत्री भी थे। उन्होंने चार स्त्रियों का परित्याग करके मलधारी आचार्य अभयदेव के समीप दीक्षा ली थी। यहाँ यह ज्ञातव्य है कि मलधारी अभयदेव नवांगी टीकाकार अभयदेव से भिन्न व्यक्ति है और उनसे परवर्तीकालीन है। वे हर्षपुरीयगच्छ के थे। हर्षपूरीयगच्छ की जो परम्परा हमें प्राप्त होती है उसके अनुसार जयसेनसूरि के शिष्य मलधारी अभयदेव और उनके शिष्य प्रस्तुत कृति के रचनाकार मलधारी हेमचन्द्र हुये। मलधारी अभयदेव सूरि के जीवन वृत का विवरण मुनिसुव्रत चरित्र की प्रशस्ति में भी चन्द्रसूरि के द्वारा लिखा गया है। ऐसा माना जाता है कि अभयदेव सूरि का आचार अत्यन्त कठोर था। वे शरीर पर मल धारण करते थे अर्थात् अस्नान के नियम का कठोरता से पालन करते थे। राजा कर्णदेव ने ही उन्हें मलधारी की पदवी प्रदान की थी। वे मात्र एक चोलपट्ट और एक चादर का ही उपयोग करते थे। रसासक्ति से रहित थे। घी के अतिरिक्त उन्होंने सभी विगयों का त्याग कर दिया था। मध्यान्हकाल में एक समय किसी मिथ्यादृष्टि के घर ही भिक्षा के लिये जाते थे। उनके कठोर साधनात्मक जीवन का और साधुचर्या का यह विवरण विस्तार से मुनिसुव्रत चरित्र की प्रशस्ति में उपलब्ध होता है। इसे पं. दलसुखभाईमालवणिया ने गणघरवाद की भूमिका में (पृ. 48 से 54 तक) विस्तार से दिया है। मलधारी हेमचन्द्र के शिष्य आचार्य जयसिंह ने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002507
Book TitleUpdesh Pushpamala
Original Sutra AuthorHemchandracharya
Author
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages188
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, P000, & P050
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy