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________________ 20 / साध्वी श्री सम्यग्दर्शना श्री अपने गुरू की इस कृति धर्मोपदेशमाला की वृति (वि.सं. 1191) में भी अपने गुरू मलधारी हेमचन्द्र और उनके गुरू अभयदेव का परिचय दिया है। इससे इतना तो सिद्ध होता है कि मलधारी हेमचन्द्र का स्वर्गवास वि.सं. 1191 के पूर्व हो चुका था और उनके भी गुरू मलधारी अभयदेव का स्वर्गवास वि.सं. 1168 में हुआ था। इस आधार पर मलधारी हेमचन्द्र का स्वर्गवास वि.सं. 1168 के पश्चात् और वि.सं. 1191 के पूर्व हुआ था। दूसरी ओर मलधारी हेमचन्द्र की कृतियों में उनके जो भी रचनाकाल उपलब्ध है, उनमें वि.सं. 1177 के बाद की कोई भी कृति का उल्लेख नहीं है। इससे यह सिद्ध होता है कि मलधारी आचार्य हेमचन्द्र का 1177 के पश्चात् और 1191 के बीच कभी हुआ होगा? मलधारी हेमचन्द्र के ग्रन्थों में 1. आवश्यक टिप्पण 2. शतकविवरण 3. अनुयोगद्वारवृत्ति 4. उपदेशमाला अपरनाम पुष्पमाला (मूल) 5. उपदेशमालावृत्ति (ज्ञातव्य है कि उपदेश मालावृत्ति इसी उपदेश-पुष्पमाला पर ही लिखी गयी है और यह स्वोपज्ञ ही है) 6. जीवसमासवृत्ति 7. भवभावनासूत्र 8. भवभावना विवरण 9. नन्दी टिप्पण और 10. विशेषावश्यकभाष्य बृहत्वृत्ति। इन कृतियों से यह स्पष्ट हो जाता है कि वे न केवल सम्यक् आचार के परिपालक थे, अपितु विद्वान् भी थे। हर्षपुरीयगच्छ का परिचय प्रस्तुत कृति के रचनाकार हेमचन्द्रकुमारपाल प्रतिबोधक हेमचन्द्र से भिन्न व्यक्ति है और काल की दृष्टि से वे ही आचार्य हेमचन्द्र की अपेक्षा वयोवृद्ध, किन्तु समकालिक है। ये भी सिद्धराज के श्रद्धापात्र थे। उनके प्रद्युम्न नाम तथा मन्त्री पदधारक एवं चार स्त्रियों के पति के अलावा मलधारी हेमचन्द्र के गृहस्थ जीवन के सन्दर्भ में हमें विशेष जानकारी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002507
Book TitleUpdesh Pushpamala
Original Sutra AuthorHemchandracharya
Author
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages188
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, P000, & P050
File Size7 MB
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