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________________ सोने मढेल बाजठियो ने सोने मढेल झूलो, हीरे जडेल वींझणो मोतीनो मोंघो अणमूलो. पागलना थई र कोईना रंग लागे... पंखीडाने० ओक ज अरमान छे मने... अक ज़ अरमान छे मने, मारुं जीवन सुगंधी बने (२) फूलडां बनुं के चाहे धूपसळी थाउं, आशा छे सामग्री पूजानी थाउं, भले काया आ राख थई शमे... मारुं जीवन तडका छाया के वा' या वर्षाना वायरा, तो ये आ पुष्पो कदी न करमाया, प्रभु चरणोमां रहेवुं गमे.... मारुं जीवन घा खीलता खीलता से खमे.... मारुं जीवन वातावरणमां सुगंध न समाती, जेम जेम चंदन ओरसीये घसाती, प्रभु काजे घसावुं गमे... मारुं जीवन जळनी खाराश बधी उरमां शमावे, तो सागर मीठी वर्षा वरसावे, सदा भरती ने ओटमां रमे... मारुं जीवन ૨૪૧
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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