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________________ प्रभु ! तें मने जे... प्रभु ! तें मने जे आप्युं छे, ओनो बदलो हुं शें वाळु ! बस तारी भक्ति करी करीने, ___ मारा मनडाने वाळू... प्रभु तें. प्रभु ! नरक निगोदथी तें तार्यो, मने अनंत दुःखोथी उगार्यो, तारा उपकार अनंता छे... अनो बदलो. अहीं लगी पहोंच्यो प्रभु तारी कृपा, तुज शासन पाम्यो प्रभु तारी कृपा, जैनधर्मतणी बलिहारी छे... अनो बंदलो. प्रभु ! मोक्ष नगरनो सथवारो, हुं मोह नगरमा वसनारो, तुं भवोभवनो उपकारी छे... अनो बदलो. . प्रभु ! मारा कंठमां देजो..... प्रभु ! मारा कंठमां देजो ओवो राग, जेथी हुं गई शकुंवीतराग, प्रभु मारा सूरमां तुं पूरजे अवो राग. ... जेथी हुँ गाई शकुं... जगने रिझावी रिझावी हुं थाकुं, ना समजाये संगीत साचुं, भरजे तुं अंतरमां ओवी कंई आग, ... जेथी हुँ गाई शकुं... ૨૪૨
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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