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________________ दोनों दृष्टियों से सरल और सुबोध विवेचन किया है । इस विवेचन की अपनी विशेषता यह है कि पच्चीस बोल की चर्चा में उठने वाले अनेक प्रासंगिक और इससे सम्बन्धित प्रश्नों को भी उपस्थित करके उनका सरल विवेचन किया गया है, जिससे उस विषय की अनेक जिज्ञासाओं का भी समाधान होता है। साथ ही पाठकों की ज्ञान - वृद्धि भी होती है । जहाँ-जहाँ आवश्यक प्रतीत हुआ वहाँ जैनदर्शन के पारिभाषिक शब्दों की आधुनिक विज्ञान की शब्दावली में प्रस्तुति और संगति भी की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आगमज्ञान पूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान है, भौतिक विज्ञान भी आज उसकी मान्यताओं का समर्थन करता है और उसके अनेक निष्कर्षों को स्वीकार करता है । आशा है यह विवेचन अब तक के प्रकाशित सभी विवेचनों से कुछ अलग, लीक से हटकर विद्यार्थियों व जिज्ञासुओं के लिए ज्ञानवर्द्धक सिद्ध होगा। प्रत्येक बोल के अन्त में कुछ प्रश्नावली भी दी गई है ताकि जिज्ञासु उस विषय के प्रश्नों का उत्तर अपने पढ़े हुए पाठ से खोजकर ज्ञान को अधिक परिपक्व व निर्दोष बना सकें । परम श्रद्धेय पू. पितामह गुरुदेव उ.भा. प्रवर्त्तक भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी म.सा. की अदृष्ट असीम अनुकम्पा तथा परम श्रद्धास्पद श्रुताचार्य पू. प्रवर्त्तक गुरुदेव श्री अमर मुनि जी म. की विशेष प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से मैंने यह छोटा-सा प्रयास किया है। मुझे विश्वास है कि यह सभी के लिए उपयोगी होगा । इस लेखन में सहायक सभी पुस्तक-लेखकों एवं सहयोगियों का मैं हृदय से आभारी हूँ। - वरुण मुनि 'अमर शिष्य'
SR No.002470
Book TitleAgam Gyan Ki Adharshila Pacchis Bol
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVarunmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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