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________________ अपनी बात एक विद्वान् ने कहा-"ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं।' दूसरे विद्वान् ने कहा-“चारित्र (क्रिया) के बिना ज्ञान का कोई महत्त्व नहीं।" दोनों परस्पर विवाद करने लगे। तब आचार्य ने समाधान कियामुक्ति की तरफ गति करने के लिए ज्ञान और चारित्र दोनों ही दो चरण की तरह आवश्यक हैं। एक पाँव से यात्रा नहीं हो सकती, उसी प्रकार न तो ज्ञान ही अकेला मुक्ति का मार्ग है, न ही अकेली क्रिया आत्मा का कल्याण कर सकती है। ज्ञान और क्रिया दोनों का सम्मिलन ही मुक्ति की यात्रा में सहायक बनता है। __ज्ञान का अर्थ है-मोक्ष के साधक-बाधक तत्त्वों की जानकारी। अहिंसा, संयम आदि का ज्ञान । अहिंसा और संयम की साधना के लिए जीव-अजीव आदि तत्त्वों का ज्ञान आवश्यक है। इनको जाने बिना अहिंसा, दया, संयम की साधना कैसे हो सकती है? व्रत, तप की आराधना भी कैसे हो सकती है? जीवअंजीव, आस्रव-संवर आदि तत्त्वों का सरल-सहज रीति से ज्ञान कराने के लिए जैन आचार्यों ने एक छोटा-सा स्तोक (थोकड़ा) बनाया है-'पच्चीस बोल' | यह संकलन किसी अनुभवी, निष्णात विद्वान् ने कब किया इसके विषय में कोई ऊहापोह न करके यह जानें कि यह स्तोक इतना सारपूर्ण, उपयोगी तथा सरल है कि पाठक को जैनदर्शन व धर्म का मूलभूत ज्ञान कराने में अत्यन्त उपयोगी है। इसे जैनदर्शन को समझने की कुंजी कहा जा सकता है। पच्चीस बोल पर छोटे-बड़े अनेक विवेचन छपे हुए हैं और उनकी अपनी उपयोगिता है। मैंने पच्चीस बोल पर तात्त्विक और वैज्ञानिक
SR No.002470
Book TitleAgam Gyan Ki Adharshila Pacchis Bol
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVarunmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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