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________________ 26. ज्ञान की आराधना करने से मुनि होता है । तप से तापस वेणं होइ तावसो । - उत्तराध्ययन तप का आचरण करने से तापस होता है । 27. ब्राह्मण बम्भरेण बम्भणो । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 1421] 25/32 - ब्रह्मचर्य के पालन से ब्राह्मण होता है । 28. ब्राह्मण वही चिपक जाते हैं। - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 4 पृ. 1421] उत्तराध्ययन 25/32 जहा पोमं जले जायं, नोवलिप्पड़ वारिणा । एवं अलित्तकामेहिं, तं वयं बूम माहणं ॥ - 30. भोगी उत्तराध्ययन 25/27 ब्राह्मण वही है - जो संसार में रहकर भी काम - भोगों से निर्लिप्त रहता है, जैसे कि कमल जल में रहकर भी उससे लिप्त नहीं होता । 29. श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 1421] कामासक्त मानव एवं लग्गंति दुम्मेहा जे नरा कामलालसा । उत्तराध्ययन 25/43 जो मनुष्य दुर्बुद्धि और काम- लालसा में आसक्त हैं, वे विषयों में श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 4 पृ. 1422 ] एवं 2699 उवलेवो होइ भोगे । अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-4 • 63
SR No.002319
Book TitleAbhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
PublisherKhubchandbhai Tribhovandas Vora
Publication Year1998
Total Pages262
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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