Book Title: Yuktyanushasan Author(s): Jugalkishor Mukhtar Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 6
________________ अशुद्धि-विज्ञप्ति (१) प्रेसके भूतोंकी कृपासे ग्रन्थ सानुवाद छपने मे कहीं कहीं कुछ अशुद्धियाँ हो गई है, जिनका सशोधन आवश्यक है उनकी विज्ञप्ति नीचे की जाती है। पाठक पहले ही उन्हे सुधार लेनेकी कृपा करे। . पृष्ठ पक्ति शुद्ध सम्यग्दर्शन सम्यग्वर्णन नेकान्तवादसे अनेकान्तवादसे सामावायरूप समवायरूप र व-पुष्प ख-पुष्प एकान्तावगदियों एकान्तवादियों भवद्यक्त्य भवद्युक्त्य दवाच्यभेवेत्य दवाच्यमेवेत्य अपेक्षा अपेक्षा समासमकाला समा समकाला युक्तयनुशासन युक्त्यनुशासन पदमधिगस्त्वं पदमधिगतस्त्वं• • (२) कहीं-कहीं कुछ शब्द जो ब्लैक टाइपमे छपने चाहिये थे वे सादा-सफैद टाइपमे छप गये है, जैसे पृष्ठ ५ के तीसरे पैरेके निम्न शब्द, उनके नीचे ब्लैक टाइप सूचक रेखा निम्न प्रकारसे लगा लेनी चाहिये-इस तरह हे जिन नाग! आपकी दृष्टि दूसरोंके द्वारा अप्रधृष्य है और साथ ही परधषिणी भी है १२ सर्वत्रPage Navigation
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