Book Title: Yugveer Nibandhavali Part 2
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 868
________________ युगवीर-निवन्धावली (३) तपागच्छ आदि सावत्सरिक पर्व पचमीका करें और चौमासी पूनमकी एवं पक्खी पूनम और अमावसकी करें । भादो सुदी पंचमी दिगम्बर समाजका भी मुख्य धार्मिक दिवस है। अर्थात् इस दिनको सांवत्सरिक पर्वकी फिरसे योजना करनेसे समग्र जैन समाजका यह मुख्य धार्मिक दिवस बन जाएगा। सामाजिक संगठनकी दृष्टिसे यह बहुत भारी लाभ है।"... - इस प्रकारका परिवर्तन करने में जिनाज्ञाकी कोई रुकावट नही है यह मैं अपने पूरे अतरवलसे कहता हूँ।" इत्यादि । (४) "हमारे सब उत्सव-महोत्सव पवित्र ज्ञान और कल्याणवाही संस्कारके उद्बोधक, प्रबोधक और शिक्षक रूप होनेबनने चाहिए । सब प्रदर्शन सादे, सयमित और भाववाही बनने चाहिये। इससे आम जनतामे जिनशासनकी प्रेरणा मिले ऐसी सुन्दर प्रभावना होगी।" (५) "हमारी साध्वियोको हमे व्याख्यान देनेकी छूट देनी चाहिये । जैन-समाजके अनेक वर्गोमे इस प्रकारकी छूट है ही। तपागच्छवालोको भी, उनकी साध्वियां अपने पवित्र ज्ञानका लाभ जैन ही नहीं, आम जनता ( तक ) को दें इसके लिए उन्हे प्रोत्साहित करना चाहिए। सभामे वे औचित्यपूर्ण ऊँचे आसन पर बैठे यह तो उनके गुण-गौरवके लिए शोभनीय ही है । सभामे साधु, मुनिवरोकी उपस्थितिमे जब गृहस्थ स्त्रियाँ भाषण दे सकती हैं, देती हैं तो फिर साध्वियां व्याख्यान क्यो नही देवें? और उसे सुननेमे साधु-मुनिवरोको ऐतराज क्या हो सकता है ?" (६ ) "आचार्य हरिभद्रने अपनी जन्मदात्री माताका तो कही भी कोई उल्लेख नहीं किया, परन्तु अपनेको प्रेरणा देने वाली साध्वोजीका उल्लेख अपनेको उनका धर्मपुत्र बताते हुए अपने

Loading...

Page Navigation
1 ... 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881