Book Title: Yogiraj Anandghanji evam Unka Kavya
Author(s): Nainmal V Surana
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 12
________________ ( ७ } मेरे पास नोटबुकों में लगभग पचास पदों के अर्थ लिखे हुए थे 1 मेरे मित्रों से भी एक-दो नोट बुकें मिलीं जिनमें लगभग पैंतीस पदों के अर्थ लिखे हुए थे । इस तरह उन सबकी सहायता से तथा अपने अनुभव एवं ज्ञान से एक-एक पद का अर्थ लिखना प्रारम्भ किया। पदों तथा स्तवनों के विवेचनों से उनमें निहित भावों को स्पष्ट रूप से समझने में सहायता मिलती है । मैंने अपनी योग्यतानुसार, प्राप्त अनुभव के आधार पर और अन्य विद्वान् लेखकों द्वारा लिखित भावार्थ आदि की सहायता से पदों का अर्थ स्पष्ट करने का प्रयास किया है । श्रीमद् आनन्दघनजी के पद, स्तवन तथा अन्य रचनाएँ आध्यात्मिकता से परिपूर्ण हैं, जिनका अर्थ गूढ़ है, रहस्यमय है | उनका वास्तविक भावार्थ तो वे ही जानते थे क्योंकि उन्होंने किस • दृष्टिकोण से अमुक पद की रचना की थी और उसके माध्यम से वे आध्यात्मिक तथ्य उजागर करना चाहते थे ? तत्कालीन देशीय परिस्थिति क्या थी और पदों के रूप में उनके अन्तर से निकले उद्गार यदि हम समझना चाहें तो तनिक कठिनाई तो होगी ही, फिर भी यथासम्भव उनके उद्गारों को ध्यान में रखकर उनकी रचनाओं के अर्थ लिखे गये हैं और तदनुरूप विवेचन के द्वारा पाठकों को सरलता से पदों में निहित भाव समझ में आ जायें, ऐसा प्रयास किया गया है । विविध ग्रन्थों तथा विभिन्न प्रतियों में पदों की संख्या में भिन्नता है । अतः मैंने उस झंझट में न पड़कर उनके समस्त उपलब्ध पदों का इस संग्रह में समावेश किया है । जो पद अन्य व्यक्तियों एवं सन्तों तथा कवियों के प्रतीत होते थे उनके भो यथासम्भव अर्थ भावार्थ आदि देकर पाठकों को सुविधा प्रदान की गई है । ने पदों का अर्थ लिखते समय अनेक श्रीपूज्यों से सम्पर्क करके सही अर्थ उनके अर्थों का आधार लेकर आवश्यक पदों का भावार्थ तथा विवेचन लिखा श्रावक भीमसिंह माणेक यतियों, मनीषियों, विद्वानों एवं प्रस्तुत करने का प्रयास किया। सुधार के साथ इस संग्रह में गया है । श्रीमद् श्रानन्दघनजी अध्यात्म ज्ञान के रसिक शिरोमणि थे । 'उनके हृदय में पदों का अध्यात्म पक्ष ही उनका मान्य सिद्धान्त था, अत: उनके पदों का अध्यात्म पक्ष उजागर करना तो किसी ज्ञानी

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