Book Title: Vivek Chudamani Bhasha Tika Samet
Author(s): Chandrashekhar Sharma
Publisher: Chandrashekhar Sharma

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ (८) विवेकचूडामणिः। सहनं सर्वदुःखानामप्रतीकारपूर्वकम् । चिन्ताविलापरहितं सा तितिक्षा निगद्यते ॥२६॥ चिन्ता विलाप और दुःख न होनेका उपाय इनको त्याग करि दुःखको सहलेना इसका नाम तितिक्षा है ॥ २५ शास्त्रस्य गुरुवाक्यस्य सत्यबुद्धयाऽवधारणम् । सा श्रद्धा कथिता सद्भिर्यया वस्तूपलभ्यते॥२६॥ शास्त्र तथा गुरुका वचन इनको सत्य समझके उसपर भरपूर विश्वास करना इसको श्रद्धा कहते हैं ॥ २६ ॥ सर्वदा स्थापनं बुद्धः शुद्ध ब्रह्मणि सर्वदा।। तत्समाधानमित्युक्तं न तु चित्तस्य लालनम्॥२७॥ चित्तका लालन छोड़कर केवल शुद्धचैतन्य परब्रह्ममें बुद्धिको सदा स्थिर रखना इसका नाम समाधान है ॥ २७॥ अहंकारादिदेहान्तान् बन्धानज्ञानकल्पितान् । ' स्वस्वरूपाऽवबोधेन मोक्तुमिच्छा मुमुक्षुता ॥२८॥ आत्मस्वरूपका बोध होनेसे अहंकार आदि देह पर्यन्त अज्ञान कल्पित बन्धसे मुक्त होनेकी जो इच्छा उसीका नाम मुमुक्षुता है॥२८॥ मन्दमध्यमरूपाणि वैराग्येण शमादिना। प्रसादेन गुरोः सेयं प्रवृद्धा सूयते फलम् ॥ २९ ॥ यही मुमुक्षुता वैराग्य और शम दम आदि छः संपत्ति, और गुरुका प्रसाद ये सब होनेपर मन्द, मध्यम, उत्तम रूप क्रमसे बढती है तो आत्मस्वरूप प्राप्तिरूप फलको उत्पन्न करती है ॥ २९ ॥ वैराग्यं च मुमुक्षुत्वं तीनं यस्य तु विद्यते । तस्मिन्नेवार्थवन्तः स्युः फलवन्तः शमादयः॥३०॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 158