Book Title: Vijay Vallabh Sansmaran Sankalan Smarika
Author(s): Pushpadanta Jain, Others
Publisher: Akhil Bharatiya Vijay Vallabh Swargarohan Arddhashatabdi Mahotsava Samiti

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Page 239
________________ गुरु प्रतिमा माल्यार्पण-श्री राज कुमार प्रदीप जैन जालन्धर गुरु प्रतिमा वासक्षेप पूजन-श्री रूप लाल धर्मपाल जैन पट्टी वाले परिवार परम गुरुभक्त श्री रघुवीर जी ने 'गुरु वल्लभ को एक अनोखी विभूति' बताते हुए कहा कि आज अगर जैन समाज शिक्षित है, तो इसका पूर्ण श्रेय पूज्य गुरुवर विजय वल्लभ सूरीश्वर जी महाराज को जाता है, वह एक अलौकिक संत थे। अपने 15 मिनिट के वक्तव्य में रघुवीर जी ने गुरुवर के जीवन पर प्रकाश डाला और अन्त में कहा कि पूज्य गुरुदेव की अर्द्धशताब्दी समारोह मनाने का तभी महत्व है, जब हम समाज के प्रति उनके उपकारों और सेवाओं को याद करते हुए उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपना सकें। श्री सुरेन्द्र जैन (लाहौर वाले) लुधियाना द्वारा गायन भजन से उपस्थित सभी गुरुभक्त भाव विभोर हो उठे। भजन के बोल थे : "नील गगन में छुपे हो वल्लभ, कैसे तेरा दीदार करें, तड़प रहे हैं तेरे दीवानें, हर दम यही पुकार करें।" श्री लक्ष्मी चन्द जी गंदेवी वालों ने अपने वक्तव्य में पूज्य गुरुदेवों के साथ गुरुवर से सम्बन्ध स्थापित करते हुए कहा कि अभी गुरु वल्लभ की भावना अधूरी है कि जैन बन्धु महावीर के झण्डे तले एक हों। अपने दस मिनट के वक्तव्य में लक्ष्मी चन्द जी ने अन्त में कहा कि हम 'जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ' कहलाते हैं। हमें प्रभु का बताया मार्ग मिला है, मानव जीवन को सार्थक करना है, भव सागर से पार होना है, अम्बाला के अच्छे भाग्य हैं ,यहां इन्द्रपुरी बनने वाली है। रत्नाकर सूरीश्वर जी महाराज के दो चौमासे प्राप्त हुए हैं जो इनकी शरण में आयेगा, वह बडतल से समतल को प्राप्त करेगा नहीं तो खडतल में गिरेगा। श्रीमति किरण जैन अम्बाला ने परम उपकारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धांजलि सुमन अर्पित करते हुए अपने मनमोहक भजन से समस्त गुरुभक्तों को प्रसन्नचित्त करते हुए सम्पूर्ण सभा को गुंजायमान कर दिया। उनके भजन के बोल थे :“गुजरातियों के छगन प्यारे, पंजाब केसरी वल्लभ प्यारे, तुम जिन्दाबाद..........." विजय वल्लभ सेना के प्रधान श्री उमेश जैन जी ने अपने वक्तव्य में “गुरु वल्लभ एक अनमोल रत्न" बताते हुए कहा कि यदि “हम क्रियाशील हो जायें, तो ज्ञान अपने आप प्राप्त हो जायेगा। ज्ञान से चरित्र का निर्माण होगा। चरित्र एक ऐसी रोशनी है जो हमेशा विद्यमान रहती है।" श्रीमति माला बहन द्वारा प्रस्तुत गीत जो प्रो. राम जी की रचना पर आधारित था उसके मुख्य बोल' सुनो-सुनो युगवीर, गुरु वल्लभ की कथा सुनो......' भजन के द्वारा समस्त गुरु भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। साध्वी रक्षित प्रज्ञा श्री जी महाराज ने अपने प्रवचन द्वारा परम उपकारी श्रद्धेय गुरु वल्लभ का गुणानुवाद किया। अपने प्रवचन में साध्वी जी ने उद्बोधन किया कि “धागों को जोड़ा परिधान बन गया, ईंटो को जोड़ा, मकान बन गया, अच्छे भावों को जोड़ा, नेक इन्सान बन गया। जब गुरु वल्लभ का जन्म बड़ौदा नगरी में हुआ उस समय देश में आतंकवाद फैला हुआ था। युगवीर ने देश-समाज को एक नई दिशा दी तथा धर्म का मार्ग बताया।" साध्वी रक्षितप्रज्ञा श्री जी-प्रवचन नवकारसी लाभ प्राप्तकर्ता श्री राज कुमार, प्रदीप जैन, कुंवर प्रतीक जैन 450 विजय वल्लभ संस्मरण-संकलन स्मारिका For Private & Personal Use Only 237 Jain Education International W anyong

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