Book Title: Vichar Pothi
Author(s): Vinoba, Kundar B Diwan
Publisher: Sasta Sahitya Mandal

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Page 103
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०२ विचारपोथी ७१६ हवा अपने आप मेरे कमरे में आती है । सूर्य अपने-आप मेरे कमरेमें प्रवेश करता है। ईश्वर भी उसी प्रकार अपने आप मिलनेवाला है। बस, मेरा कमरा खुला भर रहने दो! ७१७ ईश्वरके सौंदर्य, सामर्थ्य, ज्ञान, पावित्र्य, प्रेमका निरंतर स्मरण करें! ७१८ ___ 'महत्त्वाकांक्षा'कितनी अल्प वस्तु है यह ! ७१६ (१) बुद्धिकी स्थिरता, (२) निष्काम सेवा, (३) इंद्रियनिग्रह, (४) भक्तिकी हार्दिकता, (५) आत्मज्ञान, (६) दैवी संपत्तिका विकास, और (७) संन्यास इन सात अंगोंसे धर्म पूर्ण होता है । ७२० खुली हवामें सच्चिदानन्दसे भेंट होती है। आकाश-सत् वायू-चित् तेज-पानन्द ७२१ जगत् भिन्न-भिन्न रंगोंका बना है । जगत्में विद्यमान भिन्नभिन्न वस्तुएं याने इन भिन्न-भिन्न रंगोंके गहरे या पतले भेद । ७२२ बुद्धि अमलमें लाना ही बुद्धि 'चलाना' है। ७२३ भक्ति मां और योग बाप-ऐसा बनाव बन गया तो हम For Private and Personal Use Only

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