Book Title: Vastupal Charitam
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Doshi Shantilal Kalidas
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पुरीम्
३०
श्रीवस्तुपाल चरितम् ।
स
| शुद्धिपत्रम्
शत्या रोपिते
९७
६३
विविधा
११२ ११३
८८
॥७॥
वासोवृत प्रधानः मतांशुमान् नुतनाकुर
पुम् शत्यास रोषिते बिविधा वासो वृंत पधानः मतांशुमान् नूतनाकुंर मन्त्र्यो नाथस्थ वाञ्च्छया धर्मव्यनेन गृहीता वन्दनविधि सर्वेप्यन्ना लिखसि विषमान्युल्लचन्यन् बालेन्दु
सृजन्नतां मानयत् श नाक्रम्य माणिक्यपदक पयः सेका सम्यम् निवेदयाभास मघुरस्वराः ववर्षः विशति भुङ्क्त सर्वेऽपि रक्षा
सृजन्नेतां मानयन् शत्रूनाक्रम्य माणिक्यपदकं पयासेका सम्यक् निवेदयामास मधुरस्वराः ववृषुः विशति भुञ्जते तेऽपि
मूत्यों
१२४ १२७
९२
६
रक्षा किल
नाथस्य वाञ्छया धर्मव्ययेन ग्रहीता वन्दनविधि सर्वेप्यन्न ल्लिखसि विषमाण्युल्लयन् बालेन्दु
१३१ ४४ मुक्त्य १३१ ४७ निर्मिता १३२
जगत्रय ७६ सन्मतियो १३५ ७७ कलिलिता
मुक्त्यै निर्मिता जगत्त्रय सन्मतियों कलिता
१३५
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