Book Title: Vasantraj Shakunam
Author(s): Vasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वसंतराजशाकुनसारांशानुक्रमणिका । विषया: __ पत्र पं० श्लो० | विषयाः . पत्र पं० श्लो. वैशाखे सुवृक्षेकाकगृहशुभं | प्रासादाधिरूढे शुभं २८७ ५ ७९ शुष्के दुर्भिक्षदम् २८० ८ ५४ | पृष्ठाग्रगोमयक्षीरवृक्षादिरूढे सुवृक्षपूर्वशाखावरूढगृहेशु० २८१ १ ५५ | शुभम् २८८ १८. आमेव्यांशाखानीडे अशुभं २८१ ३ ५६ | अन्नादिमुखदृष्टे शुभं २८८ ३ ८१ दक्षिणस्यां शाखानीडे अशुभं २८१ ५ ५७ | स्त्रीमस्तककुंभेकाकस्थितशनैर्ऋत्यांनीडेशुभाशुभं २८१ ७ ५८ ब्देन शुभम् पश्चिमायां नीडं शुभं २८२ १ ५९ गोपृष्टदूर्वादिस्थितेवांछितभोजनम् २८८ ७ ८३ वायव्यनीडेअन्नादिनाशः २८२ ३ | धान्यादिरूढशब्देन शुभम् २८९ १ ८४ उत्तरनीडं शुभम् २८२ ५ ६१ | अंकुरादियुक्तवृक्षेषुकाकशब्दःसिईशान्यनीडमशुभम् २८२ ७६ २८९ वृक्षाग्रेनीडंशुभंमध्येमध्यं अ. वृक्षाग्रारूढेशांतस्वरेस्त्रीधनप्राप्तिः २८९ ५ ८६ धमेऽल्पम् २८३ १ ६३ | करभादिपृष्ठेशुभाशुभम् भूनीडमशुभं शुष्कत्रक्षेनडिम वृषभादिपृष्ठेऽशुभं २९० १ ८८ शुभम् दक्षिणनादगमनेनाशुभं २९. ३ ८९ तहकोटरादिनीडमशुभम् २८३ ५ ६५ ] काकस्यदक्षिणतो वामोरवः अन र्थदः २९० ५ ९. काकांडसंज्ञाप्रक०। दक्षिणशब्दे पृष्ठागमे अशुभं २९. ७ काकांडसंज्ञामाह २८४ २ ६६ | गोपुच्छादिरूढे अशुभं २९१ १ ९२ वारुणाग्निसंज्ञांडेनशुभाशुभं २८४ ४ ६७ अग्रपृष्ठादिशब्दे अशुभ २९१ ३ ९३ समीरजांडेनशुभाशुभम् २८४ ६ ६८ चंच्वाशुष्कदावादिताडनमशुभं २९१ ५ ९४ वामेशुष्कवृक्षाचारोहणमशुभं २९१ ७ ९५ यावाप्रकरणम् । भानशाखाद्यारोहणमशुभं २९२ १ ९६ यात्रानिमित्तशकुनमाह २८५ १ १९ छत्रनिंद्याद्यारोहणमशुभम् २९२ ३ ९७ काकस्तुतिमाह वल्लीरज्वादिमुखेपुण्यक्षयादि काकार्चनम् २८५ ५ १ लोकद्वयेन काकमधुरवामशब्देनशुभं विप ऊर्ध्वमुखश्चलपक्षोऽशुभः २९३ ३ १०० रीतेनाशुभम् आकुंचितैकांघ्रिचंचलचित्तदीकाकप्रदक्षिणवामनिवर्तनेनपांथ प्तरवेणाशुभं २९३ ५ १०१ वांछितलाभः | पुच्छताडनसूर्यावलोकनमशुभं २९४ १ १०२ दक्षिणवामशब्दे शुभं अन्यस्मिन् काकःपुंमस्तके विद्गोमयादि अशुभ २८६ ३ ७४ न्यस्यत्यशुभम् १९४ ३ १०३ पृष्ठे मधुरशब्देन शुभं २८६ ५ ७५ | पाथर्पुमस्तकोपरिखेस्थितशब्दा अग्रगामिपादेनमस्तककडूय दशुभं २९४ ५ १०४ नं अभीष्टदं ७ ७६ नदीतीरमार्गेउच्चस्वरेणाशुभम् । २९४ ७ १०५ गजस्तंभादिरूढे श्रेष्ठम् २८७ १ ४७ | यात्रोद्यमेरथहस्त्याधिरोहेऽशुभं २९५ ११.६ कूपस्थितेनष्टलाभोनदतिौरस्थि राजसैन्येकंककाकादियुद्धमशुभं २९५ ३१.७ तेकार्यसिद्धिः . २८७ ३ ७८ | शस्त्रादिरूढशुभम् २९५ ५ -- - - - ا २८५ س و २८६ १ ३ س ३ For Private And Personal Use Only

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