Book Title: Vargchulika
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 27
________________ AAAAAAAAAINA "समानावासंतसामाने आधबारबान अधारोपसोऽमीसमाजमाअो१२० राहीन समुसतानवाशनूय सहपवनी-गनिहतीपटमकप्य श्ययुयाह मारहवोस्तहलानोकलाकलजाली जाल्पी-ओपिसीनाजीनस्ववियवितितमी प्पायफलीफातंजानिऊणमाम्नविजसनहजिवावयण धितीदि Haavयो योवंगजीयासुबwalaमनीवत्सप्ती अध्ययनस्माययोग सिकायोगमा य यवंगाबाजीमाएकयहानुपती अक्षयसम्मतः]. श्री અંતિમ પત્ર स्त५ सहित. माह - श्रीजिनाय नमः ॥ भत्तिब्भरनमीरसुरनर... अन्त-... जिणवयणे दढचितो होह पईदियहं ८ इय वंगाचूलीयाए सुयहीलप्पती अज्झयणं सम्मत्तः ॥श्री।। द - हेक्सानो usो विमीय 6॥श्रयनो ज्ञानise समवाE, SI-50, ग्रन्थ-१५४२, ५-१४ क्नज्ञानी पर मालिनी । देवतामा परवरवानदेवतानामस्तका करीननम् । म सुगहिनीआमाकोतिकरो। गई॥श्रीवितामणियार्श्वनाथायन शिज्ञरमनियसरनरसिरिसहर किरदार रहितसावितएवाश्रीवारनाचलकमल। कहीमश्रुतहीजना ।। श्रीदारनानिलयका प्रतेनमीने नोउत्पति समवरमें ईयसस्सिरियामानिसिरिचारपयाउछसयदीलगुमतिशवीराउदासमेशि श्रीधर्मास्वामानोनिविवारपवेचमातीसेवरसनि । श्रीस्वामीजाशनिवार लथ्यो हिवाम्या सासिरिसदामसालिनिवासातसोचुयालिससि जिनुश्मिताएका पर स्तन I वीस सियनवमीस्वर्गविले || पीता रसवरसेक्षिाफलवस्तरिगउँतिदासनवनादिसाएमिलानदेयतशीगउसगां॥३ विनाशिमश्रीयशन/श्रीसियनववरीनाजिष्मकेप्पो । भ्यनीविवार | साचूचीनगरीनाकोष्टना स्नीयरुप्तवा आगमनाजोग श्रीयसीनवरी करती मेउद्यान जसनद्दगुसतलो।सीसोसियनस्ससमयविनुरिदरतीपक्षोसावनिक समोसा । श्रीवास्वामीसंबू प्रायसोनवनाशिमेवारशा गाना | संपकालपानरत नि सारिजय भ भरणहार रनहार | सेगुनी नाणं॥ सिस्जिद्दबासंतूविजयसीसाऽवाजसगदारांसध्यिायन्निन्छ। પ્રથમ પત્ર

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