Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 05
Author(s): Sudharmaswami, Lakshmivallabh Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 229
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir A KHESARKA 6 अर्थ:-हेश्रीकेशी मुनि ! हुं ते सर्व पाशोने छेदी, तथा उपायथी कटके कटका करी नाखी, पाशोथी मुक्त थह हलको बनी विहार करूं छु.॥ ४ ॥ उपराध-काव्या -हे केशीमुनेलान् पाशान् सबंशः सर्वान् छिस्वा. पनस्तान पाशानपायतो निस्संगादिस्वाभ्यासा-1 मापावर पन सत्रम् ||निहित्य पश्चान्मुक्तपाशो बंधनरहितः सन् लघूभूतोऽहं विहरामि. ॥ ४१॥॥ अध्य०१३ ॥१३३१० __अर्था—हे श्रीकेशी मुनि ! ते मर्यशः-सघळा पाशान-पाशोने छेदी, बळी ते पाशोना उपायथी-निःसंगपणा वगेरेना | अभ्यासथी कटके कटका करी नाखी मुक्तपाश-बंधनरहित थइ हलको बनी हु विहार करूं छु. ॥ ४ ॥ मूस-पासा इइ के वृत्त । केसी गोयममब्ववी ॥ तओ केसी बुवंतं तु । गोयमो इणमब्बी ॥४२॥ अर्थ:-श्रीकेशी साधुए श्रीगौवनने कोने पाशो कया के एम बमु. न्यार पछी एम कहता श्रीकेशी साधुने तो श्रीगौतमे आ कटु । ४२ ॥ __ व्या-इति गौतमवाय यादनंतर केशीश्रमणो गौतममब्रवीत्, हे गौतम! पाशाः के उक्ताः ? बंधनानि कान्यु कानि? तत इति पृच्छत केशीकुमारमुनि गौतम इदमुत्तरमब्रवीत्. ।। ४२ ॥ अर्थः-ए प्रमाणे श्रीगौतमना वाक्य पछी श्रीकेशी साधुए श्रीगौतमने कडं, हे श्रीगौतम ! कोने पाशो कह्या छ ? कोने बंधनो कयां ? त्यार पछी एम पूछता श्रीकेशीकुमार साधुने श्रीगौतमे आ उत्तर आप्यो. ॥ ४२ ॥ मू-रागहोसाइओ तिब्वा । नेहपामा भयंकरा ॥ ते छिदितु जहानायं । विहरामि जहकम ॥४३॥ | अर्थी-रागपादिक तीव्र अने भयंकर स्नेह पाशो के तेश्रोने न्याय प्रमाणे छेदी साधु लोकोना बाचारनी पद्धति प्रमाणे विहार करू छ. ॥॥॥ हे केशीमुने जीवानां रागद्वेषादयस्तीवाः कठोराइछेत्तुमशक्याः स्नेहपाशा मोहपाशा उक्ताः कीदृशास्ते स्नेहपाशा? RI - % % e. For Private and Personal Use Only

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