Book Title: Uttaradhyayan Sutra Mul Path
Author(s): Jivraj Ghelabhai Doshi
Publisher: Jivraj Ghelabhai Doshi

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Page 202
________________ जीवाजीवविभत्ती. ॥ २३६ ॥ चवीस सागराई उक्कोसेण विई जवे । बिश्यम्मि जहन्नेणं तेवीसं सागरोवमा ॥ २३४ ॥ पणवीस सागराई नकोसे विई जवे । तइयम्मि जहन्नेणं चउवीसं सागरोवमा ॥ २३५ ॥ छवीस सागराई उक्को से विई जवे । उत्थम्मि जहन्नेणं सागरा पणुवीसई सागरा सत्तावीसं तु उक्कोसेण ठिई जवे । पञ्चमम्मि जहन्नेणं सागरा उ छवीसई सागरा अट्ठवीसं तु उक्को से विई भवे छट्टम्म जहन्नेणं सागरा सत्तवीसई सागरा उणतीसं तु उक्को से विई भवे । सत्तमम्मि जहन्नेणं सागरा अट्ठवीसई ॥ २३७ ॥ ॥ २३८ ॥ ॥ २३९ ॥ १९५: विई भवे । उतीसई ॥ २४० ॥ ॥ २४९ ॥ तीसं तु सागराई उक्को से अट्ठमम्मि जहन्नेणं सागरा सागरा इकतीसं तु उक्कोसे ठिई भवे । नवमम्मि जहन्नेणं तीसई सागरोवमा तेत्तीसा सागराई उक्कोसे ठिई जवे । वसुं पि विजयाईसु जहनेणेकतीसई अजहन्नमणुकोसा तेत्तीसं सागरोवमा । महाविमा सङ्घट्टे विई एसा वियाहिया ॥ २४३ ॥ “जा व उ आउठिई देवाणं तु वियाहिया । ॥ २४२ ॥ सा तेसिं कायठिई जहन्नमुकोसिया भवे ॥ २४४ ॥

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