Book Title: Updeshpad Part 01
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Lalan Niketan Madhada

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Page 400
________________ ॥ ३७७ ॥ ताइ – पुव्वयं मूलिया णुयोगो य, दिट्ठीवाओ श्य पंचदावि नो अस्य तत्थित्ति. ॥ २ ॥ नेपालवत्तिणीए - विसए किस नद्दबाहवो गुरवो, विहरंति दिद्विवायंधरति श्य चिंतियं ते. ॥ ७३ ॥ संघे साहुजुयलं - पदियं तस्संतिए पत्राएहि— दट्ठीवायं जं संति अस्थियो साहुणो एत्थ ॥ ९४ ॥ कढ़ियंमि संघकज्जे - परियि ते संपइ पयट्टो - साहेन महापापज्जाणं - पुव्विच क्कालो - ॥ एए ॥ सियो - नाद मेयंमि जवरए संते- दाहामि वायां जं-न जाइ एवं मिसा दाउं.॥ए६॥ आगम्म तेण संघस्स सादियं तो पुणोवि संघाको तस्संतिए विसडूढो - संधा जान मन्ने ॥ ९७॥ को तस्स होइ दंगो-एयं जणावियो जाइ तस्स, बग्घामणं तया सो— तुब्नचेवा गया मिणं ति. ॥ ९८ ॥ मा उग्घामद पेसह साहुणो ज ८ बाद दुकाल मटतां ते फरीने पाटलीपुत्रनगरमा आव्या एटले सर्वे मळीने तपाश करी के श्रु रधुं छे. ए० हवे जेना पासे जे कांइ उद्देश तया अध्ययन याद हता ते सर्वे एकठा कर र्या. १ परंतु परिकर्म -सूत्र— पूर्वगन - चूलिका अने अनुयोग एम पांच प्रकारनो दृष्टिवाद त्यां २ त्यारे पंधे विचार्य क नेपाळदेशमां भद्रबाहुस्वामि विचरे बे तेमना पासे ते बे. ७३ तेयी तेणे तेमना पासे बे साधु मोकली कहेबराव्यं के तमारे इहां आवी दृष्टिवादनी वाचना देवी जोशे केमके इहां तेना अथीं साधु रहेला छे. [४ आए संघ काम फरमावतां जद्रबाहुस्वामिए उत्तर वाळयो के में हमणा महाप्राण नामे ध्यान साधवा मां बे, केमके पूर्वे दुकाल प्रवर्त्ततो हतो तेथी हवे ए ध्यान पूरुं नहि थाय त्यां लगण वाचना आपीश नदि केमके काममां ते आप। शकाय तेम नयी ५ - ७६ त्यारे ते वें साबुए संघसमीपे आवीने संघने ते बात कही एटले फरीने सं कोना पासे कयुं कयुं ग्यार अंग स्थापित क कोइ पासे नहि मळ्यो. श्री उपदेश पद.

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