Book Title: Uktiratnakara
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir
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भाथडी भस्त्रा खाट मचिका ।
घामांची घटमञ्चिका ।
आरती आरात्रिका | पोली प्रतोली ।
गंभार गर्भागारम् ।
देउली देवकुलिका |
भमती भ्रमावती ।
सूणहर शयनगृहम् | चाचर चत्वरम् ।
चउरी चतुरिका |
चउसालउ चतुःशालम् ।
दावा वट उद्वर्त्म |
दारिकावाटकः ।
रान अरण्यम् ।
बाफ बाष्प: ।
आधरण आघ्राणं, अधिश्रयणं वा ।
सेवंती शतपत्रिका |
कणयर करवीरः ।
वेल विच किलः ।
पाउल पाटला |
पुंआड प्रनाटः ।
जव यवः ।
कोठीभse कोष्ठभेदकः ।
मांडा भण्डका । साकुली शष्कुली । वालहली वफलिका |
खीच क्षिप्रः ।
खीचडी चिटिका । खारिक खाधारिका | टोपर टोपपरः ।
काढर काथः ।
तंगोटी तंगपटी | साथरउ स्रस्तरः ।
उ०र० ५
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मांची मञ्चिका ।
नही नखिका ।
वईंगणु वृन्ताकम् ।
हलद हरिद्रा ।
आदउ आर्द्रकम् । चउरसउ चतुरस्रः । धोयण धावनम् ।
मोकल मुत्कलः । पिहुलउ पृथुलः ।
गाडरि गड्डरी ।
जुआरि युगन्धरी ।
पूअरउ पूतरकः । भइरव भैरवी । भीखारी भिक्षाचरः । दांतिल दन्तुरः । खोडउ खोडः ।
मातर मत्तः ।
दोसी दौयकः ।
सांबलउ शम्बलम् |
प्राहुणउ प्राघुणः ।
लाज लज्जा ।
पजूसण पर्युषणा । चउमास चतुर्मासकम् । अठाही अष्टाहिका ।
पाखखमण पक्षक्षपणम् । पोरसी पौरुषी ।
नवकारसी नमस्कारसहितम् ।
पचखाण प्रत्याख्यानम् । पडिकमणउ प्रतिक्रमणम् ।
पडिलेहण प्रतिलेखना |
बांदण वन्दनकम् |
खामणउ क्षामणकम् ।
कासग कायोत्सर्गः ।
खमासण क्षमाश्रमणम् ।
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