________________ .142 एकेश्वर वाद. - अल्ला.' सब मनुष्यों पर प्रेम करता है तथा उनकी रक्षा करता है ऐसी भावना का वह उस धर्म में अभाव ही देखने में आता है / इस्लाम धर्म न मानने वाले सब लोग अल्ला के और उसके उपासकों के शत्रु हैं और उनका विनाश करने के लिए धर्मयुद्ध चलाने की प्रत्येक आस्तिक मनुष्य का पवित्र कर्तव्य है ऐसा उस धर्म का विश्वास है। __अपने राजकीय समाज में प्रवेश हुए विना कोई भी मनुष्य अपने धर्म का नहीं हो सकता ऐसा विश्वास जिस धर्म में देखा जाता है उस धर्म में मनुष्य व्यक्ति का गौरव बहुत * कम माना जाता है। वहां अपनी समाज से बाहर के मनुष्यों का तिरस्कार किया जाता है और प्रसंग आने पर भी मनुष्य रूप में मान कर उन के मान की रक्षा नहीं की जाती और उन्हें दया का पात्र नहीं माना . जाता। अपने समाज के मनुष्यों को भी स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में नहीं लिखा जाता परन्तु समाज का हित साधने के साधन रूप माने जाते हैं। याहूदी धर्म में वैसे ही इस्लाम धर्म में इस प्रकार अपने समाज के तथा समाज से बाहर के मनुष्यों की व्यक्तियों का बहुत कम मान किया गया है। इसी लिए उनमें एकेश्वर वाद का संपूर्ण विकास नहीं हुआ मालूम पड़ता है। मूर्तिमान् ईश्वर पर एक मनुष्य व्यक्ति की श्रद्धा रूप एकेश्वर वाद मुख्य तया मनुष्य व्यक्ति का धर्म है इस लिये उसके विकास क्रम में मनुष्य की तथा उसके ईश्वरकी व्यक्ति अधिकाधिक