Book Title: Tran Bhashya Bhavarth ahit
Author(s): Jain Shreyaskar Mandal Mahesana
Publisher: Jain Shreyaskar Mandal Mahesana

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Page 9
________________ શ્રીચૈત્યવંદન ભાષ્ય. दहतिग अहिंगमपणगं, दु दिसि तिहुग्गह तिहा उ वंदणया पणिवाय नमुक्कारा, बन्ना सोलसय सीयाला ॥२॥ इगसीइसयं तु पया, सगनउई संपया उ पण दंडा॥ बार अहिगार चउर्व-दणिज्ज सरणिज्ज चउहजिणा ॥३॥ चउरो थुई निमित्तट्ठ, बार हेऊ अ सोल आगारा। गुणवीस दोस उस्सग्गमाणं श्रुत्तं च सग वेला ॥४॥ दस--आसायण--चाओ, सव्वे चिइवंदणाइ-ठाणाई । चउवीस--दुवारेहि, दुसहस्सा हुंति चउसयरा ॥ ५॥ २. २४ શબ્દાર્થ ૨ જી ગાથાને दहतिग = १० त्रि वंदणया = पहना अहिगमपणगं = ५मिम पणिवाय = प्रणिपात, सभादुदिसि = २ हिशि સમણ तिह = 3 मारना नमुक्कारा = नभर उग्गह = मह वन्ना = वर्ण, २५३२ तिहा उपजी 3 मारनी सोलसय सीयाला= सालस। सुडतालीस (१९४७) શબ્દાર્થ ૩ જી ગાથાને. इगसाइ सयं = ससा सासी बार अहिगार = १२ अधिकार पया = ५। चउ वंदणिज्ज = ४५हनयोग्य सगनउइ = सत्ता (८७) सरणिज्ज = स्म२९ ३२२॥ संपया = स५६, विसामा યોગ્ય पण दंडा = ५७४ (नमुत्थु- । चउह = ४ मारना माहि) जिणा = निश्वर, तीर्थ२

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