Book Title: Swadeshi Chikitsa Aapka Swasthya Aapke Hath Author(s): Chanchalmal Choradiya Publisher: Swaraj Prakashan Samuh View full book textPage 8
________________ या विशेषता इसलिए है कि इसमें शरीर के तल का चिन्तन मात्र नहीं है, भाव जगत की भूमिका को रेखांकित किया है। हम क्रोधित, लम्पट लालची रह कर कभी स्वस्थ नहीं रह सकते। संयम, नियम और मानवधर्म की उपेक्षा का हम स्वास्थ्य को न तो सौगात में ले सकते, न खरीद सकते, न उधार ले सकते। विज्ञान आनुवांशिकता पर जोर देता है मगर भारतीय संस्कृति प्रारब्ध या कर्मफल के प्रति सतर्क रखती है। यदि हम कुकर्म करते हैं तो उसका फल स्वयं हमें और हमारी भावी पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा इसलिए स्वास्थ्य हमारे कर्म, धारणाएँ, धर्म और जीवनशैली पर . आधारित है और यह भी ध्रुव सत्य है कि आयुष्य पूर्व निर्धारित होती है । वैसे टेबल पर सौ पचास किताबें रख एक नया संकलन करना आसान है। विभिन्न रोगों से उत्पीड़ित मानव समाज में ऐसी पुस्तकों की बाढ़ आ गई हैं। मगर श्री चंचलमलनजी चोरडिया ने इलेक्ट्रिकल इन्जीनियर और प्रतिष्ठित व्यवसायी होने के पश्चात कई दशकों तक प्रायोगिक रूप से प्रमुख भारतीय और अन्तर्राष्ट्रीय प्रख्यात वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के आचार्यों के साथ सघन अभ्यास किया। हम सभी जानते है कि आपने अपने जीवन के त्रासद और दुर्घटनापूर्ण क्षणों में इनका प्रयोग किया। सैकड़ों शिविरों में हजारों रोगियों का अपनी अहिंसक स्वालम्बन चिकित्सा प्रणालियों से पूर्ण उपचार किया। इस दौरान आपने व्यापक अध् ययन किया। स्वयं पढ़ कर सैकड़ों लोगों को ऐसी प्रेरक किताबें भेंट की । आपने निरन्तर अपने अनुभवों पर आधारित विविध आयामों पर पर्चे लिख, मुद्रित करा प्रधानमन्त्री से लेकर सामान्य श्रमिक तक को निशुल्क बाँटे । भारत के सभी पत्र 'पत्रिकाओं में आपके लेख पाठकों द्वारा अभिनन्दनीय अनुकरणीय रहे। देश विदेशों में स्मरणीय व्याख्यान दिए । अनेक उच्च पुरस्कार तथा सम्मान प्राप्त किए। तब मेरे जैसे अनेक प्रशंसकों का अनुरोधपूर्ण दबाव रहा कि आप स्वास्थ्य विज्ञान की सघन व्यापक मौलिक अनुभूतियों को ग्रन्थों के माध्यम से अभिव्यक्त करे उसी विनय का यह प्रथम पुष्प है। चोरडियाजी विद्वान समर्पित, उच्चतम मानवीय गुणों के पुंज है इसलिए उनका यह लेखन भी उतना ही सशक्त, सात्विक है। : प्रोफेसर लक्ष्मीकान्त जोशी, सम्पादक दैनिक प्रतिनिधिPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 94