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[ २४ ]
अध्याय
प्रधानविषय
२ साहस कहते हैं। जो जितने मूल्य की वस्तु छीन कर ले जावे उसको उससे दूना दण्ड दिलवाना चाहिये तथा छिपाने पर चार गुना दण्ड । स्वच्छन्दता से किसी विधवा स्त्री के साथ गमन करनेवाला या बिना कारण किसी को गाली देने वाला और झूठी शपथ करनेवाला तथा जिस काम के योग्य न हो उसको करने को तैयार हो जाना एवं दासी के गर्भ को नष्ट कर देना, पशु के लिङ्ग को काट देना, पिता पुत्र गुरु और स्त्री को छोड़ने वाले को सौप दण्ड का विधान बताया है । धोबी दूसरे के कपड़ों को अपने पास रक्खे तो - उसको तीन पल दण्ड । पिता और पुत्र की लड़ाई में जो गवाही देवे उसे तीन पल दण्ड । तराजू और बाटों को जो छल कपट से बनाकर व्यवहार करे तो उसे पूरा दण्ड । जो कपट को सत्य और सत्य को कपट कहे उसे भी साहस प्रकरण का दण्ड । जो वैद्य झूठी दवा बनावे उसको भी दण्ड । जो कर्मचारी अपराधी को छोड़ देवे उसको दण्ड । नहीं देता है उसको भी दण्ड (२३३-२६१) ।
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जो मूल्य लेकर वस्तु को
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