Book Title: Sirisirwal Kaha Part 01
Author(s): Vadilal Jivabhai Chokshi
Publisher: Vadilal Jivabhai Chokshi
View full book text
________________ 2 सिरिसिरिचालकहार सुभासियवयणा सोल चित्र महिला विभूसणं सीलमेव सबस्स। सील जीवियसरिस सीगउ न सुंदर किपि // ................साहर्णन कप्पर हु सावज / कहिउं किंपि तिगिच्छं, विजं मंतं च तंतं च // माअपिअसुअसहोअरपमुहावि कुणंति तं न उवयारं / जै निकारणकरुणापरो गुरू कुणइ जीवाणं / न य तं करेइ माया, नेव पिया नेव बंधुवग्मो / जं वच्छल्लं साहम्मिआण मुस्सावओ कुणइ // . अहो अणमा वुट्टी संजाया जणणिदंसणओ // एमुचिअ जिणधम्मो जायज्जीवं च महसरणं // भवनाडयंमि अहवा ही ही किं किं न संभवइ ? // नो देइ कोइ कस्सवि सुख्खं दुक्खं च निच्छओ एसो। निअयं चेव समज्जिअमुवझुठजइ जंतुणा कम्मं // मा वहउ कोइ गव्वं जं किर कज्जं मए कयं होइ // सुरवरकयपि कज्जं कम्मवसा होइ विवरीअं // ते पत्थरमित्तकए हत्थंमि पसारियमि सहसत्ति / चडिओ अचिंतिओ चिय नूनं चिंतामणी एसो॥ तावच्चिय विसमत्तं जाव न धीरा पवज्जंति.

Page Navigation
1 ... 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346