Book Title: Siddhant Rahasya Part 01 Author(s): Devchandra Upadhyay Publisher: Gangji Virji Shah View full book textPage 5
________________ S अग्रवचन सिद्धांत **** * ३ जीवाभीगम ४ पन्नवणा ५ अनुयोगद्वार ६ नंदी ७ उत्तराध्ययन ८ जंबूद्वीप पन्नती तथा ते सूत्रोनी टीकाओ, आवश्यकनियुक्ति, विशेषावश्यक, कर्मग्रंथ, कर्मप्रकृति. पंचसंग्रह, प्रवचनसारोद्वार, विचारसार. लोकप्रकाश. संग्रहणी, क्षेत्रसमास, पंचनिग्रंथी. तथा हस्तलिग्वित पानाओ. नगेरेनी सहाय लेवामां आवी छे, जेथी जे काइ सुधारो वधारो करेल छे ते उपरोक्त सूत्र अने ग्रंथोना आधारे करवामां आवेल छे. आमां जे कोइने न समजाय अगर विरुद्धता भासे तो लेखकने पूछयु, तो तेनो लेखक खुलाशो करी आपशे. आ ग्रंथ लग्ववानुं परमोपकारी विद्वद्वर्य उपाध्यायजी महाराज श्रीदेवचंद्रजी स्वामीनी प्रेरणा अने अनुग्रहथीज बनेल छे कारण, प्रेममेटर सुधारवान तथा प्रुफो सुधारवानें काम तेओएज करेल छे अने टीपणीओ पण तेओनी कृपाद्रष्टिधी बनेल छे माटे | तेओश्रीनो अनन्य उपकार छे. तथा स्वर्गस्थ परमोपकारी स्यादवाद तत्वनाज्ञाता परमपूज्य गुरुवर्यश्री विजय-14 |पालजीस्वामी तथा पूज्यश्री कानजीस्वामीनो पण अनहद उपकार छ कारण. केटलाएक सूक्ष्म तत्वनी गवेषणा तो परमोपकारीना अनुग्रहथीज थाय छे. आ पुस्तकने आदिथी अंत सुधी वांची जवा दरेकने भलामण छे. आ | ग्रंथ लखधामा घणी कालजी राखवामां आवेल छे छतां द्रष्टि दोषथी के प्रेस दोषयी जे कांड भूलो रही होय तो तेनी सज्जनो पासेथी क्षमा मागु छु अने खास विषयोनी भूल जणाय तो लखवा कृपा करवी. विशेष आ ग्रंथना अगाउधी ग्राहक तरीके पोताना नामो नोधावी अमोने अमारा प्रकाशनमां मदद करी छे ते माटे तेमनो पण आभार मानुं छु. एज. लि. श्री संघनो सेवक, शाह गांगजी वीरजी (कच्छ पत्री.) * HARE* ** * ***Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 248