Book Title: Siddhant Kaumudi Vyakhyan Vyakaran
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 9
________________ सिर २४० रेप्सितमेवेत्येवशद स्वीप्सा प्रकर्षाभाव सूचना या ईति पकर्मता सिद्धये कथितं वेति सूत्रमितियावत्। तदेव भाष्यादिपर्यालोचना २ यामस्यापि द्वितीयायाः कर्मत्वमेवार्थेन संवन्धइति नव्या धुन्ति भष्पिविरुद्धेत्यवधेयम्॥ ( शोध पत्रंसा वैद्विशत्पुनरेव वा शत्र पत्रा टटस्थ प्रथमप Dharmartha Trust J&K. Digitized by eGangotri राम २४०

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