Book Title: Siddhachal Vando Re Nar Nari
Author(s): Mahendrasagar
Publisher: Mahendrasagar
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इणे तीरथ महोटा कह्या, सोल उद्धार सक्कार, ते तीर्थेश्वर प्रणमिए, लघु असंख्यविचार. द्रव्य भाव वैरी तणो, जेह थी थाये अंत, ते तीर्थेश्वर प्रणमिए, शत्रुंजय समरंत. पुंडरीक गणधर हुआ, प्रथम सिद्ध इणे ठाम, ते तीर्थेश्वर प्रणमिए, पुंडरीक गिरि नाम. कांकरे- कांकरे इण गिरि, सिद्ध हुआ सुपवित्त, ते तीर्थेश्वर प्रणमिए, सिद्धक्षेत्र समचित्त. मल द्रव्य भाव विशेषथी, जेहथी जाये दूर, ते तीर्थेश्वर प्रणमिए, विमलाचल सुखपूर. सुरवरा बहु जे गिरे, निवसे निरमल ठाण, ते तीर्थेश्वर प्रणमिए, सुरगिरि नाम प्रमाण. परवत सहु मांही वडो, महागिरि तिणे कहंत, ते तीर्थेश्वर प्रणमिए, दरशन लहे पुण्यवंत. पुण्य अनर्गल जेहथी, थाये पाप विनाश, ते तीर्थेश्वर प्रणमिए, नाम भलुं पुण्यराश. लक्ष्मीदेवी ए कर्यो, कुंडे कमल निवास, ते तीर्थेश्वर प्रणमिए पद्मनाम सुवास . सवि गिरि मां सुरपति समो, पातक पंक विलात, ते तीर्थेश्वर प्रणमिए, पर्वत इन्द्र विख्यात. त्रिभुवनमां तीरथ सवे, तेहमां मोटो एह,
ते तीर्थेश्वर प्रणमिए, महातीरथ जस रेह. आदि अंत नहीं जेहनो, कोई काले न विलाय, ते तीर्थेश्वर प्रणमिए, शाश्वतगिरि कहेवाय.
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