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शूरसेन जनपद में जैन धर्म के प्रमुख केन्द्र
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साथ-साथ दस्युओं के जीवन में भी धार्मिकता का उदय हुआ था। उस समय के कई चोर अपने बहुसंख्यक साथियों के साथ दुष्प्रवृत्तियों को छोड़कर तप और ध्यान में लीन हुए थे, जिससे उन्हें भी परमगति प्राप्त हुई थी। कालान्तर में जब जम्बूस्वामी का मन्दिर बना, तब उसके समीप उन तपस्वी दस्युओं के स्मारक भी बनाये गये थे। काल के प्रहार ने उन सबकों नष्ट कर दिया। उनका कोई अवशेष भी अब तक उपलब्ध नहीं हुआ है। यह जम्बूस्वामी स्थल के नाम से भी जाना जाता है। ___चौरासी टीले से एक लाल बलुआ पत्थर पर निर्मित एक बैठी हुई तीर्थंकर की मूर्ति मिली है। यह प्रतिमा ध्यानस्थ मुद्रा में है। यह ऋषभनाथ की प्रतिमा मध्यकालीन है। इसकी ऊँचाई 19 सेंमी. है। वर्तमान में यह मथुरा संग्रहालय में स्थित है।" बटेश्वर आगरा में स्थित बटेश्वर एक महत्वपूर्ण गाँव है। यह 26°56' उत्तरी अक्षांश तथा 78°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य में स्थित है। आगरा से बटेश्वर की दूरी सत्तर किमी. है। यह स्थल आगरा के बाह तहसील में अवस्थित है। शौरीपुर से बटेश्वर की दूरी पाँच किमी. है। शिकोहाबाद से बटेश्वर लगभग तीस किमी. दूर है।
आगरा से बटेश्वर तक पक्की सड़क गई है। रेल अथवा बस मार्ग द्वारा आगरा पहुँचने के पश्चात् बस द्वारा बटेश्वर की दूरी तय कर सकते हैं।
इस स्थान के नाम के विषय में अनेक किवदन्तियाँ प्रचलित हैं। एक किवदन्ती के अनुसार भगवान शिव के एक नाम बटेश्वरनाथ पर इस स्थान का नाम बटेश्वर पड़ा।
वर्तमान समय में इस स्थान पर बहुत से घाट हैं जो यमुना नदी से निर्मित है। यमुना नदी के किनारे बहुत बड़ा वार्षिक मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन होता है। इस वार्षिकोत्सव में न केवल पड़ोस के जिले से