Book Title: Shrimad Devchandra Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना. श्रीमद् देवचंद्रजी कृत सर्व ग्रंथो छपाववानो संकल्प. श्रीमद् देवचंद्रजी महाराजकृत सर्व ग्रंथो छपाववानो संक ल्प संकल्प संवत् १९६८ ना चैत्र मासमां थयो . योगनिष्ट शास्त्रविशारद जैनाचार्य श्रीमद् बुद्धिसागर सूरिश्वरजी विहार करता मुंबाई सुरत थई चैत्र मासमां पादरे पधार्या तत्समये श्रीमद्देवचंद्रजीकृत आगमसार नयचक्रसार विगेरे ग्रंथोनुं परिशीलन थयुं ते वखते गुरु महाराजे तेमना सर्व ग्रंथो मेळवी एकत्र करी छपाववा संबंधी उपदेश कर्यो तेथी तेम करवा द्रढ निश्चय कर्यो, अने ते संबंधी विचारोनो प्रवाह शरु थयो, आद्यमां कया कया ग्रंथो छपाववा तेनो निश्चय कर्यो. संवत् १९७२ नी सालमां श्रीमद् सूरिजी महाराज विजापुरमा चोमासु रह्या ते समये तेमनी देखरेख नीचे तथा तेमनी दृष्टि प्रमाणे आगमसार ग्रंथ छपाववानो शरु कर्यो; वडोदराना लढाणामित्र स्टीम प्रेसना मालीक रा. विठ्ठलभाई आशारामें सगवड भरेली रीते पुस्तको छापी आपवानुं कबुल कर्यु तेथी तेमना प्रेसमां आगमसार ग्रंथ प्रथम आपवामां आव्यो, अमे एक तरफ तेमनां बनावेलां पुस्तकोनी शोध अने संग्रह माटे जाहेर खबरो छपाववामां आवी. श्रीमद् देवचंद्रजी महाराजनुं नाम समग्र जैन कोममां प्रख्यात छे. जैन कोमनो कोई पण फीरको तेमना नामयी अंजायो नथी, सर्व गच्छवाळाओ तेमना ग्रंथोनो प्रेमयी उपयोग करे छे तेथी तेमना सर्व ग्रंथो छपाववानी जाहेरखबर बहार 2 For Private And Personal Use Only

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