Book Title: Shraddhey Ke Prati
Author(s): Tulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
Publisher: Atmaram and Sons
View full book text
________________
संयम धर्म, अधर्म असयम, सुणोरे सयाणा कैसी करी कसोटी। विखरया वाल संवार साधदी एक हाथ में चोटी रे ॥८॥
नइ मोड़ युग ने दी क्यों नहिं खुले आम म्हे कहि युगपुरुप पुकारां। चरमोच्छव दिन सघ चतुष्टय 'तुलसी' तन मन वारां रे ॥६॥
चौपाई तेरह सवत पुर सरदारा। कियो चौमास मंत्रि-मनुहारा ।। वयालिस मुनि सति अड़चाला। 'तुलसी' भैक्षव-गण रखवाला ॥ श्रीभिक्ष रो अभिनव वैभव । एकसे चौवनवों चरमोच्छव ।। श्रद्धाञ्जली समर्पित शतशत । जगति चिर जय तव तेरापथ ।।
वि० सं० २०१३ चरम महोत्सव, सरदारशहर (राज.)
२०८]
[श्रद्धेय के प्रति

Page Navigation
1 ... 119 120 121 122 123 124