________________
निलवन्तपर्वतके केशरीद्रहके उत्तरके तोरणसे नरकन्ता और रुपीपर्वतके महापुंडरिकद्रहके दक्षिणका तोरणसें नारीकन्ता यह दोनों नदीयों रम्यक्वास युगलक्षेत्रमें कुंड और देवीका नाम नदी माफीक विस्तार परिवार देखो यंत्रसें. :
रुपीपर्वतपर महापुंडरिकद्रहके उत्तरके तोरणसे रुपकुल नदी और सिखरीपर्वतपर पुंडरिकद्रहका दक्षिणका तोरणसे सूवर्णकुलानदी यह दोनों नदी एरणवय युगलक्षेत्रमें गइ है परिवारादि देखो यंत्रसे.
सिखरीपर्वतपर पुंडरिकद्रहके पूर्व और पश्चिम तोरणसे रता रक्तवति यह दो नदीयों एरवरतक्षेत्रमें गंगा सिन्धुवत् चौदा चौदा हजार नदीयोंके परिवारसे लवणसमुद्रमें प्रवेश कीया है नदीके माफीक कुंडका या देवीयोंका नाम समझना कुंड वा भुवनका अधिकार गंगादेवी माफीक है.
कोष्टक संकेत सूचिना:
नि० उ०-निकलतो उढी. प्र० उ०-समुद्र में प्रवेश होतो उढी. नि० वि०-निकलतो विस्तार.प्र० उ०-समुद्र में प्रवेश होतो विस्तार.