Book Title: Shavar Tantra Shastra
Author(s): Rajesh Dikshit
Publisher: Deep Publications

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Page 291
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६० शावर तन्त्र शास्त्र इसके आधार पर एक उदाहरण देखियेजोसेफ Joseph का मूलांक-- १०+१+१३+५+१६+८ ७३ ७+३-१० १+० =१ १ मूलांक का प्रतिनिधि ग्रह 'सूर्य' है। अतः इस व्यक्ति के स्वभाव से सूर्य ग्रह की चारित्रिक विशेषताएं मिलाने के पश्चात ही अपनी गणना को सही मानिये, अन्यथा फिर से गणना कीजिये। हिन्दी वर्णमाला के क्रमांक; के आधार पर हिन्दी वर्णाक्षरों की भी मूल्य तालिका बनाई जाती है, परन्तु इन सभी मूल्य तालिकाओं में अधिक उपयुक्त मूल्य तालिका "ईरानी पद्धति" की मैंने अनुभव को है। ईरानी पद्धति में हर्षल और वरुण अर्थात् मूलांक ४ और ७ का ग्रह नहीं है अतः ४ मूलांक वाले का सूर्य ग्रह और ७ मूलांक वाले का चन्द्रमा ग्रह मानकर, ईरानी सूफो काम करते हैं। अपनी ग्रह-गणना करते समय पहले आप वरुण और हर्षल की चारित्रिक विशेषतायें मिलायें। यदि न मिलें तो उनके समकक्षी ग्रह सूर्य व चन्द्र से मिला कर देखें। काकणो गणना-मन्त्र शास्त्र में आप एक ही ग्रह से सम्बन्धित कई मन्त्रों को पायेंगे। इनमें से उपयुक्त मन्त्र का चयन करने के लिए "काकणी-गणना" की जाती है। काकणी दो निकालनी पड़ती हैं एक तो साधक के नाम की और दूसरी मन्त्र की। इनके सूत्र साधक के नाम की काकणी--- नाम का वर्गीक x२+मन्त्र का वर्गीक मन्त्र की काकणी मन्त्र के प्रथमाक्षर का वर्गीक x२+साधक के नाम का वर्गीक For Private And Personal Use Only

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