Book Title: Shastra Sandeshmala Part 24
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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।। ३३४ ॥
जच्छंदओ सततम्मि, जक्खरत्ती य दीवाली। जण्णोहणो णिसियरे, जंघाछेओ य चच्चरए ॥३२९ ॥ विद्दवियम्मि जगडिओ, जंभणअ आई जहिच्छभणिर आई। जरलद्धिय-जरलविया गामीणे, ऊरुए जहणरोहो ॥३३० ।। जहणूसवं अद्धोरू, जंकयसुकओ अप्पसुकयगिज्झम्मि। जाडी गुम्म,जाई सुरा,कविट्ठम्मि जाऊरो
॥३३१ ।। जालघडिया सिरहरे, जिग्घियं ओसिंघिय अत्थम्मि। जिण्णोब्भवा य दुव्वाइ, जीवयमई य वाहमई ॥३३२ ॥ जुण्णो छेगे, जुयलो तरुणे, अपरिग्गहम्मि जुजुरुडो। जुयलिय-जुरुमिल्ला दुगुणिय-गहणा, जूयओ य बप्पीहे ॥ ३३३ ॥ जेमणयं दाहिणए अंगे, जो रं च 'जो किर' अत्थम्मि जोक्खं अचोक्खे, जोओ चंदे, जोग्गा य चाडुम्मि णक्खत्ते जोडं जोइसं च, जोई य विज्जूए । खलियम्मि जोइरो, जोइक्खो दीवम्मि, जोडिओ वाहो ॥ ३३५ ॥ णयणम्मि जोयणं, तह खज्जोए जोइयं जाण । जोइंगणो अ इंदोवे, जोवारीइ जोण्णलिया
|| ३३६ ॥ जोव्वणणीरं तह जोव्वणवेअं जोव्वणोवयं च जरा । जण्हं लहुपिढरे कसिणए य, जंपणं अकित्ति-वयणेसु ॥ ३३७ ॥ वेडिस वरुणेसुं जंबुओ य, गामणि-विडेसु जणउत्तो । जच्चंदणं अगरूकुंकुमं च, जोवो य बिंदु-थोवेसु ॥ ३३८ ॥ संततवरिसम्मि झडी, झंखो तुढे, झला य मयतण्हा । झंटी लहु-उड्ढकेसेसु, पीलु-मायासु झंडुय-झमाला ॥३३९ ॥ झंडलि-झंखर-झरया असई-सुक्कतरु-सुव्वणआरेसु । झज्झरि-झरुया खिक्खिरि-मसएसुं, झंपणी पम्हे ॥३४०॥
3७८
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