Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 03
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ भव्वत्तं पुणमकयगमणिच्चमो चेव तहसहावाओ / जह कयगोऽविहु मुक्खो निच्चो वि य भाववइचित्तं // 35 // एवं चेव दिदिक्खा भवबीजं वासणा अविज्जा य / सहजमलसद्दवच्चं वन्निज्जइ मुक्खवाईहिं एयं पुण तह कम्मेयराणुसम्बन्धजोगयारूवं / . एतदभावे णायं सिद्धाणाभावणागम्मं // 37 // इय असदेवाणाइयमैग्गे तम आसि एवमाई वि। . भेयगविरहे वइचित्तजोगओ होइ पडिसिद्धं // 38 // भेयगविरहे तस्सेव तस्सऽभावत्तकप्पणमजुत्तं / . जम्हा सावहिगामिणं नीई अवही य णाभावो // 39 // इय तन्तजुत्तिसिद्धो अणाइमं एस हंदि लोगु त्ति / इहरा इमस्सऽभावो पावइ परिचिंतियव्वमिणं // 40 // // 41 // // 3 // कुलनीतिलोकधर्मविशिका // इत्थ कुलनीइधम्मा पाएण विसिट्ठलोगमहिकिच्च / आवेणिगाइरूवा विचित्तसत्थोइया चेव जे वेणिसंपयाया चित्ता सत्थेसु अपडिबद्ध त्ति / ते तम्मज्जायाए सव्वे आवेणिया नेया // 42 // जह संझाए दीवयदाणं सत्थं रविम्मि विद्धत्थे / सुद्धग्गिणो अदाणं च तस्स अभिसत्थपडियाणं // 43 // नक्खत्तमंडलस्स य पूजा नक्खत्तदेवयाणं च / गोसे सविसरणाइ य धन्नाणं वंदणा चेव // 44 // गिहदेवयाइसरणं वामंगट्टयनिवीडणा चेव / असिलिट्ठदंसणम्मी तहा सिलिट्टे य सिरिहत्थो - // 45 //

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