Book Title: Sharirik Mimansa Bhashye Part 02
Author(s): A V Narsimhacharya
Publisher: A V Narsimhacharya
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सूत्राणि.
अ-स. पा.सं. सू-सं.
2
शा-भा. वे.सा. वे.दी. पु सं. पु-से पु.सं.
३
mror
१२६
.
एक आत्मनश्शरीरे भावात् । एतेन मातरिश्वा व्याख्यातः एतेन योगः प्रत्युक्तः एतेन शिष्टापरिग्रहा अ. एवं चात्माकाय॑म् एवमप्युपन्यासात्पूर्वभावाएवं मुक्तिफलानियमस्तदव
anw mmm
.
. com
४७६ ४७७ ४०० ४००
Amm
३
in or rx m m rammm x mx omnm
१५४
१५५
३६९ ३२०
३२०
on a m m m x
ऐहिकमप्रस्तुतप्रतिबन्धे
क. करणवच्चेन्न भोगादिभ्यः कर्ता शास्त्रार्थवत्त्वात् कामकारेण चैके कामादीतरत्र तत्र चायतनाकाम्यास्तु यथाकाम समुच्चीकार्य बादरिरस्य गत्युपपत्तेः कार्याख्यानादपूर्वम् कार्यात्यये तदध्यक्षेण सहातः कृतप्रयत्नापेक्षस्तु विहितप्रकृतात्ययेऽनुशयवान् दृष्टकृत्स्नासक्तिनिरिवयत्वकृत्स्नभावात्तु गृहिणोपसंहारः
३४६
३४७
**.nxx
४६१ ४६३ २८२ २८३
ar
V
४६४
१५७ १५४
x rn
२०४ २०४
३९५ ३९६
<w. vommmmmmmmmmmu
K
२९८
३०१
३५२
गतेरर्यवत्त्वमुभयधाऽन्य गुणसाधारण्यश्रुतेश्च गुणाद्वाऽऽलोकवत् गौण्यसंभवाच्छब्दाच गौण्यसंभवात्तत्प्राक्तेश्च
os morrn
१४७ १२६
१७२
na... on *
?
चक्षुरदिवत्तु तत्सहशिष्टयादिचरणादिति चेन तदुपलक्षचराचरव्यपाश्रयस्तु स्यात्तचिंति तन्मात्रेण तदात्मक
mox
१७८ १७९ २०३ । २०४ २०५ | १७ | १३२ १३४ १३५ ४ । ६ ४७५ । ४७६ ४७७
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 595