Book Title: Shaddravya Vichar Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 173
________________ ( १६२ ) एड् द्रव्य विचार. 4402 जुदुं छे. लेश्या, योग, पांच संस्थान, पांच शरीर, तथा पांच संघयण, दस प्राण पांच इंद्री, ए सर्व हे चेतन ताराथी जुदुं छे. तेनामां पोतापणुं मानीश नहीं एम विचार ते अन्यत्व भावना जाणवी. ६ आ शरीर अपवित्र मळ मूळनी खाण छे. असुचिमय छ, पुरुषनां नव अने स्त्री नां बार द्वारथी सदा अशुचि नीकळे छे, हाल आ शरीर पवित्र लागे छे. पण रोग थए छते दुर्गधि युक्त थइ जशे. मांस रुधिर मेद हाडकांथी आ शरीर बन्यु छे, तेने देखी हे चेतन तुं शुं राचे छे. गर्भावासे तुं कीडानी पेठे नवमास मळमां रह्यो, मूयेनो प्रकाश आ वे नही, अने ऊंधे मस्तके रहेवू, एहवां गर्भ

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