________________ 128 ] सत्य-संगीत wwwmmon mo nwwwmarmmmmmmmmmmar हैं देश काल का तुमने मर्म बताया। हैं पट के नाना रंग ढग ऋतु-छाया // इस विविध-रूपता में एकत्व दिखाया / सब धर्मोमें भर रही तुम्हारी माया // तुम सब वर्मों के मूल, जगत के त्राता / जय सत्य अहिंसे जगत्पिता जगमाता // 4 // जितने तीर्थकर धर्म सिखाने आये / जितने पैगम्बर ईश्वर-दूत कहाये // जितने अवतारों ने सुकर्म बतलाये / उन सबने गुणगण सदा तुम्हारे गाये // तुम मातपिता, वे हैं सुपुत्र, सब भ्राता / जय सत्य अहिंसे जगत्पिता जगमाता // 5 // सारे सयम सज्ज्ञान, स्वरूप तुम्हारे / अम्बर के तन्तु समान नियम यम सारे // सब सम्प्रदाय, पटके एकेक किनारे / / तुम नभसमान, गुणगण हैं रविशशि तारे // तुम हो अनत कोई न अत है पाता / जय सत्य अहिंसे जगत्पिता जगांता // 6 // बच्चो पर अपनी दयादृष्टि फैलाओ। दो घट घट के पट खोल प्रकाश दिखाओ || अन्तस्तल का मल दूर कराओ आओ। भूली दुनिया पर वरद पाणि फैलाओ // हो विश्वप्रेम, सदसद्विवेक, सुखसाता / जय सत्य अहिंसे जगत्पिता जगमाता // 7 //